What is file operation and how does it work {फ़ाइल ऑपरेशन क्या है और यह कैसे काम करता है}
फाइल ऑपरेशन (File Operation)
फाइल Logically related डाटा का कलेक्शन है, किसी भी फाइल को बनाते समय फाइल का content उसके creater द्वारा परिभाषित किया जाता है।
किसी भी फाइल को पढ़ने, एडिट करने, डिलीट करने, फाइल में डाटा लिखने एवं अन्य विभिन्न प्रकार के कार्य किसी फाइल में करना फाइल ऑपरेशन कहलाता है। किसी भी फाइल के content को या file की सूचना को पढ़ने के अलावा भी फाइल पर विभिन्न प्रकार के कार्य किए जा सकते हैं।
फाइल पर Perform किए जाने वाले फाइल ऑपरेशन यूजर द्वारा किए जाते हैं। इन ऑपरेशन को करने हेतु ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर को विभिन्न कमाण्ड उपलब्ध कराता है। फाइल ऑपरेशन के प्रकार (Types of File Operation) किसी File के Content या File की Information को पढ़ने के अलावा File पर विभिन्न कार्य करने हेतु विभिन्न प्रकार के Operations किए जाते हैं।
किसी फाइल पर कार्य करने हेतु मुख्य रूप से use किए जाने वाले
ऑपरेशन निम्नानुसार हैं- Create Operation
Write Operation
Delete Operation
Close Operation Rename Operation
Open Operation
Read Operation
Sorting Operation
Append Operation
Re-position or Seek Operation:-क्रिएट ऑपरेशन (Create Operation) इस ऑपरेशन का प्रयोग file system में किसी नई फाइल को बनाने हेतु किया जाता है।
यह फाइल system में सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला ऑपरेशन है। किसी फाइल को बनाने हेतु creation प्रथम स्टेप है, फाइल को create हुए बिना उस पर कोई अन्य ऑपरेशन प्रयुक्त नहीं हो सकता है। · विण्डो ऑपरेटिंग सिस्टम में Command Prompt का प्रयोग करके निम्नलिखित commands द्वारा फाइल क्रिएट की जा सकती है।
echo copy con notepad कमाण्ड लाइन द्वारा file को create करने हेतु > (filename ) . ( filetype)
रीड ऑपरेशन (Read Operation) syntax :- type nul इस ऑपरेशन का प्रयोग करके सिस्टम में स्टोर किसी फाइल में store की हुई सूचना (Information/data) को पढ़ा जा सकता है। * सिस्टम में किसी specific location से डाटा को रीड करने हेतु rend pointer का प्रयोग होता है। नोटः– कमाण्ड लाइन के द्वारा डाटा को Read करने हेतु निम्नलिखित कमाण्ड प्रयुक्त होती है।
type command – For huge file more command – To read file one page at a time
राइट ऑपरेशन (Write Operation)
इस ऑपरेशन का प्रयोग करके किसी फाइल में नया कन्टेन्ट या नया डाटा डाला जा सकता है। सिस्टम कॉल किसी फाइल को Write करने हेतु Same pointer का प्रयोग करता है, इससे Space save हो जाता है एव Complexity reduce हो जाती है।
डिलीट ऑपरेशन (Delete Operation)
Delete ऑपरेशन का प्रयोग करके किसी भी फाइल को सिस्टम से हटाया या delete किया जाता है। फाइल को सिस्टम से हटाने पर उस file द्वारा सिस्टम में जो स्थान या space occupied किया गया था वो Release हो जाता है अर्थात जो storage उस फाइल द्वारा लिया गया था Delete करने पर वो Release हो जाता है। नोटः कमाण्ड लाइन द्वारा किसी फाइल को डिलीट करने हेतु Del ऑपरेशन प्रयुक्त होता है।
रीनेम ऑपरेशन (Rename Operation)
Rename ऑपरेशन द्वारा किसी फाइल का नाम परिवर्तित किया जाता है अर्थात् फाइल को पूर्व में दिया गया नाम बदल दिया जाता है।
सॉर्टिंग ऑपरेशन ( Sorting Operation )
किसी फाइल के Content को निश्चित sequence में Sort करने एवं Arrange करने हेतु प्रयुक्त operation. सीक ऑपरेशन (Re-Position or Seek Operation) किसी फाइल को Source से Cut करके Destination पर Move करने (एक जगह से दूसरी जगह रखने) हेतु प्रयुक्त operation. अपेन्ड ऑपरेशन (Append Operation) File के अन्त में data add करने हेतु प्रयुक्त operation. ड्रंकेट ऑपरेशन (Truncate Operation) करके इस ऑपरेशन द्वारा किसी फाइल में से किसी सूचना को Delete किया जाता है अर्थात् इसके द्वारा सम्पूर्ण फाइल को delete नहीं करके कोई सूचना ही delete की जाती है। नोट: इस कमाण्ड द्वारा फाइल की length परिवर्तित हो जाती है।
फाइल एक्सटेंशन (File Extension)
फाइल एक्सटेंशन—फाइल एक्सटेंशन या फाइल नेम एक्सटेंशन वह शब्द होता है जो किसी भी फाइल के नाम के अंत में आता है, इसे File format (फाइल फॉर्मेट) भी कहते हैं । उदाहरण यदि फाइल का नाम ‘प्रार्थना पत्र pdf’ है, तो इसका फाइल एक्सटेंशन .pdf है। फाइल एक्सटेंशन की मदद से ही ऑपरेटिंग सिस्टम को यह पता चलता है कि फाइल किस प्रकार की है एवं इस फाइल को किस एप्लीकेशन में खोलना है।
फाइल एक्सेस मैथ्ड (File Access Method)
किसी File में Store की हुई Information को Access करके Memory में से पढ़ा जाता है। किसी File को Access करने हेतु अनेक Method प्रयुक्त होते हैं, मुख्य रूप से प्रयुक्त होने वाले Method निम्नानुसार है
1. Sequential Access Method (क्रमिक एक्सेस मैथ्ड)– Sequential Access में file में उपस्थित information को क्रम में access या read किया जाता है, अर्थात् सूचना को एक-एक करके निर्धारित क्रम से access किया जाता है।
उदाहरण के लिए किसी file में 6 सूचनाएँ हैं, 11, 12, b3, 14, Is lo है तो user सबसे पहले I को access/read करेगा फिर I, और अंत में Ig अर्थात् इसमें direct I, सूचना को access नहीं किया जासकता है। इस method का उपयोग ज्यादातर editor और compiler के द्वारा किया जाता है।
2. Direct Access Method (डायरेक्ट एक्सेस मैथ्ड) — Direct access को random access भी कहा जाता है। Direct access method के द्वारा user फाइल में उपस्थित किसी भी information को direct access कर सकते हैं। इसके द्वारा user file में से सूचना को बहुत तेज गति से access कर सकता है। उदाहरण के लिए किसी file में 6 सूचनाएँ हैं, I, I2, 13, 14, Is lo है तो user को I को एक्सेस करना है तो वो I1, 12, 13, I4, I, पर नहीं जाकर डायरेक्ट 16 को एक्सेस कर सकता है।
इस method का उपयोग ज्यादातर Database में किया जाता है। Indexed Sequential Access (इंडेक्सड सिक्वेंसियल एक्सेस) — इस method को Sequential access के आधार पर बनाया गया है। इसमें प्रत्येक file के लिए एक Index Create किया जाता है जो विभिन्न Blocks के लिए Pointer की सहायता से डायरेक्ट information तक पहुँच सकते हैं।
3. इसमें file को access करने के लिए सबसे पहले index में जाकर pointer को save करना होता है। * इसमें Index, Indexed Sequential Access के top पर बनाया जाता है। यह Index की मदद से pointer को control करता है।
फाइल सिस्टम (File System)
कम्प्यूटर में डाटा एवं सूचना को फाइल में स्टोर किया जाता है। फाइल सिस्टम एक ऐसा सिस्टम है, जिसका प्रयोग कम्प्यूटर में फाइलों को सुव्यवस्थित ढंग से रखने तथा उनकी पूरी सूचना को सही जगह रखने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किया जाता है। अर्थात् फाइल सिस्टम एक ऐसा सिस्टम है, जिसका प्रयोग कम्प्यूटर सिस्टम की फाइलों को Manage (प्रबंधित) करने के लिए किया जाता है, जिसमें आवश्यकता होने पर फाइलों को आसानी से पहचानकर प्रयोग में लिया जा सकता है।
File system को FS कहा जाता है, फाइल सिस्टम का प्रयोग फाइल मैनेजमेन्ट (File Management) हेतु किया जाता है। फाइल सिस्टम एक विशेष प्रकार का Mechanism एवं data structure है जो ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा use किया जाता है यह बताता है कि किस प्रकार से डेटा कम्प्यूटर सिस्टम में रखा जाए। * File system एक प्रकार का structure एवं logic rule है जो डाटा के ग्रुप्स का organise करने हेतु प्रयुक्त होता है।
Objective of File System
फाइल सिस्टम यूजर की Data Management needs जैसे- डाटा स्टोरेज आदि को fulfill करने हेतु प्रयुक्त होता है। Storage device Wide range को support Data loss या Data destruction से बचने हेतु। WO Interface procedures का स्टैण्डर्ड सेट उपलब्ध करवाने हेतु। + Multiple-user System में विभिन्न यूजर्स के लिए I/O support उपलब्ध करवाने हेतु। File System Architecture हर File system में दो या तीन layer होती है। ये layers, file system में अलग-अलग या एक साथ कार्य कर सकती है। ये layers निम्नानुसार है
1. Logical File System (लॉजिकल फाइल सिस्टम) ये file system, user application से सम्बन्धित होती है। जैसे किसी application program के अंतर्गत file को create करना, file को open करके उसके data को Read करना और फिर File को Close करने के लिए Application program interface प्रदान करता है। यह layer, file access, directory सम्बन्धित कार्य और सुरक्षा सम्बन्धित operation करवाता है। Virtual File System (वर्चुअल फाइल सिस्टम) – यह layer हर File System में मौजूद हो ऐसा जरूरी नहीं है, इस layer का प्रयोग Virtual file को manage करने के लिए किया जाता है।
3. Physical File System (फिजिकल फाइल सिस्टम) – यह layer storage device के भौतिक (physical) संचालन से संबंधित है। यह पढ़ने या लिखे जाने वाले Physical Blocks को processed करता है। Buffering and memory management handle करता है।
File के साथ-साथ File Systems बहुत सी अलग-अलग information भी रखता है जैसे की file की size, उसके attributes, location और directory में और meta data में hierarchy। फाइल सिस्टम के प्रकार (Types of File System) फाइलों को properly मैनेज एवं व्यवस्थित करने हेतु विभिन्न प्रकार के फाइल सिस्टम प्रयुक्त होते हैं, प्रत्येक फाइल सिस्टम का अपना Structure, logic एवं विभिन्न Characteristic जैसे Security, Size आदि होते हैं। Speed, विभिन्न प्रकार के फाइल सिस्टम निम्नानुसार हैं-
1. Disk File System (डिस्क फाइल सिस्टम) डिस्क फाइल सिस्टम में स्टोर किया गया डेटा Randomly access किया जा सकता है, इससे समय की बचत होती है। यह फाइल सिस्टम विभिन्न यूजर्स को भिन्न-भिन्न प्रकार के डाटा को एक्सेस करने हेतु allow करता है। Flash File System (फ्लैश फाइल सिस्टम)
2. यह फाइल सिस्टम Flash-Memory based स्टोरेज डिवाइसों में प्रयुक्त होता है। इस फाइल सिस्टम का निर्माण Flash Memory के Nature एवं Features के अनुसार किया जाता है
Distributed File System (डिस्ट्रिब्यूटेड फाइल सिस्टम) डिस्ट्रिब्यूटेड फाइल सिस्टम को नेटवर्क फाइल सिस्टम (Network File System) भी कहा जाता है।
एक नेटवर्क फाइल सिस्टम ऐसा फाइल सिस्टम है जो रिमोट फाइल एक्सेस प्रोटोकॉल के लिए क्लाइन्ट के रूप में कार्य करके सर्वर पर फाइलों तक पहुँच प्रदान करता है।
रिमोट नेटवर्क से जुड़ी मशीनों पर फाइल्स को Create, Maintain एवं hierarchical directories को access करने का कार्य Local Interface Program करते हैं। Tape File System (टेप फाइल सिस्टम) 5 Long time के लिए डेटा को एक्सेस करने हेतु डिस्क की अपेक्षा magnetic tape प्रयुक्त होते हैं। Tape file सिस्टम का प्रयोग Tape पर फाइलों को रखने हेतु किया जाता है। Shared Disk File System (शेयर्ड डिस्क फाइल सिस्टम)
5. शेयर्ड डिस्क फाइल सिस्टम ;-यह अनुमति देता है कि Same external disk Subsystem को अनेक मशीनों द्वारा एक्सेस किया जा सके। जब कई मशीनें Same external disk Subsystem को एक्सेस करती है तो टकराव (Collision) की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस Collision की स्थिति को रोकने हेतु यह फाइल सिस्टम तय करता है. कि किस सबसिस्टम को एक्सेस किया जाए ।
6. Database File System (डेटाबेस फाइल सिस्टम) ;-डाटाबेस फाइल सिस्टम फाइल मैनेजमेन्ट हेतु प्रयुक्त एक विशेष प्रकार का फाइल सिस्टम है जिसमें फाइल्स को Hierarchical Structured Management के बजाए उनके Characteristic जैसे – Type of file, topic आदि द्वारा recognise किया जाता है। फाइल सिस्टम के उदाहरण (Example of File System) Management के बजाए उनके Charact
1. FAT-File Allocation Table (फाइल एलोकेशन टेबल) FAT फाइल सिस्टम का एक उदाहरण है, जिसका पूर्ण रूप Pile Allocation Table होता है। FAT को माइक्रोसॉफ्ट के द्वारा 1977 में create किया गया। प्रारम्भ में इसे Floppy disk के लिए ही डिजाइन किया गया लेकिन बाद में hard disk हेतु भी यह प्रयुक्त हुआ।
FAT फाइल सिस्टम एक ऐसा फाइल सिस्टम है, जिसे मूल रूप से छोटी डिस्क एवं सरल फोल्डर structure हेतु डिजाइन किया गया है। FAT का प्रयोग हार्ड ड्राइव के लिए करने के कारण हार्ड ड्राइव की कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। फाइल एलोकेशन टेबल (FAT) का प्रयोग भिन्न-भिन्न प्रकार के Files एवं फोल्डर्स के एलोकेशन (allocation) हेतु होता है।
FAT का प्रयोग डिजिटल कैमरा, Flash Memory एवं विभिन्न Portable devices में होता है। FAT का इस्तेमाल करके ये डिवाइस फाइलों को आसानी से store एवं Manage करते हैं। FAT का इस्तेमाल Operating System के द्वारा कम्प्यूटर की फाइलों को Cluster में Store करने के लिए किया जाता है। नोटः- कलस्टर (Cluster) डेटा का स्टोर करने का एक area (क्षेत्र) होता है।
FAT का इस्तेमाल मेमोरी कार्ड को format करने हेतु भी किया जा सकता है। FAT के प्रकार (Types of FAT)
1. FAT12 (12-bit File Allocation Table)
2. FAT16 (16-bit File Allocation Table)
3. FAT32 (32-bit File Allocation Table)
4. exFAT (Extended File Allocation Table)
1. FAT12 (12-bit File Allocation Table) ;- FAT 12 फाइल एलोकेशन टेबल (FAT) का पहला एवं बहुत अधिक
प्रयोग किया जाने वाला version (वर्जन) है। FAT 12 को DOS के पहले version के साथ 1980 में लांच किया गया था। FAT 12 bit बाइनरी नम्बर का इस्तेमाल cluster number स्टोर करने के लिए करता है।
PAT 12 का प्रयोग माइक्रोसॉफ्ट के ऑपरेटिंग सिस्टम और MS- DOS 4.0 के ज्यादातर सिस्टम में किया जाता था FAT 12 16 MB तक की फाइलों को सपोर्ट करने में सक्षम है। अर्थात् यह 4 kb क्लस्टर का उपयोग करके 16 MB साइज तक की फाइलों को सपोट कर सकता है। FAT 12 में फाइल नेम की Character Limit 8 Character से अधिक नहीं हो सकती तथा अधिकतम 3 Character एक्सटेंशन हेतु प्रयुक्त होते हैं। FAT12 में सबसे पहले विभिन्न File attribute जैसे File attribute hidden read only, system volume of Introduce किया गया।
2. FAT 16 (16-bit File Allocation Table);- यह FAT का दूसरा version (वर्जन) है। FAT 16 को सर्वप्रथम 1984 में DOS 3.0 और MS-DOS 3.0 के साथ लांच किया गया था।FAT 16 को FAT 16B भी कहा जाता है। यह 16 bit बाइनरी नम्बर का इस्तेमाल Cluster number को स्टोर करने के लिए करता है। FAT 16 के ड्राइव का size 2 GB से 16 GB तक हो सकता है जिसके चलते यह बड़ी आकार वाली फाइलों को सपोर्ट करता है। FAT 16 में सबसे पहले archieve file attribute को Introduce किया गया। FAT 16 का एक improved version जिसे FAT16B कहा गया का प्रयोग MS-DOS 7.0 एवं Windows 95 में हुआ।
3. FAT32 (32-bit File Allocation Table);- FAT 32 फाइल एलोकेशन टेबल का एक नया version है जो Windows 95 और MS-DOS 7.1 के लिए 1996 में डिजाइन किया गया था।यह 64 KB क्लस्टर के साथ 2 TB और 16 TB फाइलों को सपोर्ट * यह 28 bit बाइनरी नम्बर का इस्तेमाल cluster number को स्टोर करता है। करने के लिए करता है। FAT 32 फाइल सिस्टम का एक मॉडिफाइड वर्जन बना जिसे FAT 32 + भी कहा जाता है। यह फाइल सिस्टम लगभग 256GB size की फाइलों को सपोर्ट करता है जो आकार में काफी बड़ी फाइलें होती हैं
4. exFAT (Extended File Allocation Table);- फाइल सिस्टम exFAT माइक्रोसॉफ्ट के द्वारा 2006 में निर्मित किया गया था। exFAT फाइल सिस्टम का उपयोग primarily portable media devices जैसे—flash drives, SDHC और SDXC cards आदि में किया जाता है।
exFAT फाइल सिस्टम 512 TB तक की files को support करता है।exFAT 255 character filename को नेटिव सपोर्ट करता है। Applications of FAT (File Allocation Table) FAT का उपयोग ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा सिस्टम की फाइलों को Cluster में Store करने के लिए किया जाता है। FAT का प्रयोग फ्लैश मेमोरी, डिजिटल कैमरा और पोर्टेबल जैसे devices में भी किया जाता है जिसकी मदद से यह डिवाइस आसानी से फाइलों को मेनेज और स्टोर कर सकते हैं। File Allocation Table का प्रयोग सिस्टम में जानकारी को स्टोर करने के लिए किया जाता है।
NTFS (New Technology File System);-NTFS एक ऐसा फाइल सिस्टम है, जिसका पूर्ण रूप New Technology File System होता है। NTFS को माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) द्वारा Windows ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए डिजाइन किया गया। NTFS माइक्रोसॉफ्ट के विण्डोज 10, विडोज 8, विडोज 7, विडोंज विस्टा, विडोंज 2000 एवं विंडोज NT ऑपरेटिंग सिस्टम में प्रयुक्त होने वाला प्राथमिक फाइल सिस्टम है। NTFS में एक्सेस कंट्रोल लिस्ट (ACL), फाइल सिस्टम जर्नलिंग आदि अतिरिक्त सुविधायें होने के कारण यह FAT से बेहतर है। NTFS एक ऐसा फाइल सिस्टम है जो हार्डडिस्क ड्राइव (HDD), सॉलिड स्टेट ड्राइव (SSD) पर फाइलों को स्टोर्ड, नाम और व्यवस्थित करने के तरीके को पहचाने हेतु प्रयुक्त होता है। NTFS फाइल सिस्टम Inexhaustible File Size सीमा प्रदान करता है। यह Rare File Support, File Level encryption आदि विशेषताएँ रखता है।
GFS (Global File System);-यह File System मुख्य रूप से Linux operating system में उपयोग किया जाता है। यह एक Shared Disk File System है। GFS को Direct Access Shared Block Storage को तथा साथ में इसे एक Local File System के हिसाब से उपयोग में लिया जा सकता है। GFS2, GFS का Updated Version है। GNU General Public Licencera File System Available होते हैं।
3. HFS (Hierarchical File System) :-यह File System, MaCOs में उपयोग के लिए बनाया गया था। इसे सन् 1985 में floppy और hard disks के लिए बनाया गया था। HFS ने पूरी तरह से Macintosh File System को replace कर दिया तथा इसे CD ROMS में भी इस्तेमाल किया जाता है।