कुछ बात तो हैं अच्छाई में हैं जो अकेले ही लड़ती हैं,अन्धकार जितना भी गहरा हो,आगे बढ़ती हैं,और आखिर कार सच का सवेरा लाती हैं।
अब पहले जैसी ना रही ज़िंदगी बस सोचते सोचते गुज़र रही है,मौज तो बचपन में थी यारों अब तो कामयाबी के फ़िकरों में निकल रही है।
सपने वो नहीं है जो हम नींद में देखते है,सपने वो है जो हमको नींद नहीं आने देते।
ज़िन्दगी हो या व्हाट्सप्प,देखने वाले तो सिर्फ और सिर्फ स्टेटस देखते है।
रिश्ते ऐसे बनाओ कि जिसमें शब्द कमऔर समझ ज्यादा हो, झगड़े कमऔर नजरिया ज्यादा हो।
अपना और पराया क्या है,मुझे तो बस यही पता है,जो भावनाओं को समझे वो अपना,और जो भावना से परे हो वो पराया,जो दूर रहकर भी पास हो वो अपना,और जो पास रहकर भी दूर हो वो पराया।
एक चाहत होती है,अपनों के साथ जीने की,वरना पता तो हमें भी है,कि मरना अकेले ही है,मित्रता एवं रिश्तेदारी ‘सम्मान’ की नही ”भाव” की भूखी होती है,बशर्ते लगाव दिल से होना चाहिए,दिमाग से नही।
कुछ रिश्ते बस online होते हैं,पर कुछ रिश्ते offline होने पे भी आपके साथ रहते हैं,फॅमिली उन्हीं रिश्तों से बनती है।