समय बहाकर ले जाता है नाम और निशां कोई ‘हम’ में रह जाता है तो कोई ‘अहम’ में

क्यों डरें ज़िन्दगी में क्या होगा कुछ ना होगा तो तज़रूबा होगा

अँधेरे से मत ड़रो, सितारे अँधेरे में ही चमकते हैं…

भरोसा रखें.. हम जब कहीं किसी का अच्छा कर रहे होते हैं, तब हमारे लिए भी कहीं कुछ अच्छा हो रहा होता है

पंछी कभी अपने बच्चों के भविष्य के लिए घोंसले बनाकर नहीं देते, वे तो बस उन्हें ‘उड़ने’ की कला सिखाते हैं

भगवदगीता में लिखा है कि जिस समय कोई समस्या जन्म लेती है, उसके साथ ही उसका समाधान भी जन्म लेता है

कोशिश आखिरी सांस तक करनी चाहिए मंजिल मिले या तजुर्बा चीज़ें दोनों ही नायाब हैं