How To Working Output Display
आउटपुट डिवाइस (Output Device) |
User कम्प्यूटर में इनपुट डिवाइसेज के द्वारा इनपुट देता है, दिए गए इनपुट पर CPU प्रोसेसिंग करके User को आउटपुट प्रदान करता है। CPU द्वारा दिया गया Result या Output Machine Language या Binary Language में होता है। इस Result को मानव को समझने योग्य भाषा अर्थात् मानवीय भाषा में आउटपुट डिवाइस परिवर्तित करते हैं अर्थात् आउटपुट डिवाइस वे डिवाइस होते हैं जो CPU द्वारा बाइनरी भाषा में दिए गए परिणाम डाटा एवं निर्देशों को यूजर के समझने योग्य मानवीय भाषा में परिवर्तित करते हैं।
आउटपुट डिवाझा कम्प्यूटर सिस्टम में process के बाद परिणाम को
प्रदर्शित करने हेतु प्रयुक्त होती है। प्रोसेस की गई सूचना को user के लिए useful pattern में translation करने और प्रयुक्त करने का कार्य आउटपुट डिवाइस करता है।
Output Device दो प्रकार के होते हैं
1.सॉफ्टकॉपी आउटपुट डिवाइस (Soft Copy Output Device)
2. हार्डकॉपी आउटपुट डिवाइस (Hard Copy Output Device)
सॉफ्टकॉपी आउटपुट डिवाइस (Soft Copy Output Device)
Computer में Processing के बाद मिलने वाला Result जिसे Screen पर देखा जा सके या Sound के रूप में प्राप्त किया जा सके वो Softcopy Output कहलाता है। ऐसे आउटपुट जो कि display unit पर प्रदर्शित किये जाते हैं उन्हें Softcopy Output कहा जाता है। * सॉफ्टकॉपी आउटपुट को temporary output कहा जाता है, तथा यह digital/electronic रूप में होता है।
सॉफ्टकॉपी आउटपुट कम्प्यूटर ऑफ होने के बाद काम में नहीं लिया जा सकता है। * सॉफ्टकॉपी आउटपुट डिवाइस के रूप में Monitor and Speaker होते हैं। डिस्प्ले यूनिट के रूप में Monitor, LED, LCD, Projector, Mobile Screen होते हैं। ये सभी सॉफ्टकॉपी आउटपुट डिवाइस है।
मॉनिटर (Monitor)
मॉनिटर को विजुअल डिस्प्ले यूनिट (Visual Display Unit – VDU) भी कहा जाता है।
मॉनिटर का आकार विकर्णवत (Diagonally) मापा जाता है।
मॉनिटर कम्प्यूटर का Primary Output Device है। मॉनिटर को तकनीकी आधार पर निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया है—
1. C.R.T. मॉनीटर—C.R.T. मॉनिटर का पूर्ण रूप Cathode Ray Tube मॉनिटर होता है। इस प्रकार के मॉनिटर में Cathode Ray Picture ट्यूब होती है, जिस पर फॉस्फोरस का लेपन होता है। C.R.T. Monitor सस्ते होते हैं एवं उच्च कोटि का रंगीन आउटपुट प्रदान करने में सक्षम है। C.R.T. में Electrongun प्रयुक्त होती है।
2. F.P.D. मॉनीटर—F.P.D. मॉनिटर का पूर्ण रूप Flat Panel Display मॉनिटर होता है। F.P.D. मॉनिटर नई तकनीक पर आधारित Monitor है। Flat Panel Display पतली, अत्यधिक चपटी, light weight वाला एवं less power consumption करती है । F.P.D. मॉनिटर मुख्य रूप से Laptop में प्रयुक्त होते हैं। L.C.D., LE.D. एवं G.D.P. Flat Panel Display के ही प्रकार हैं।
L.C.D. (Liquid Crystal Display) मॉनीटर –
L. C. D. में दो परतों के मध्य Liquid भरा होता है। इस Liquid पर Voltage का प्रभाव डालकर Display प्राप्त किया जाता है। L.C.D. को Computer Monitors, Laptop, Tablet, Smart Phone आदि में प्रयुक्त किया जाता है। L.C.D. बिजली की खपत बहुत ही कम करती है
L.ED. (Light Emitting Diode ) —
यह मॉनिटर OLED (Organic Light Emitting Diode) पर कार्य करता है। LED एक ऐसा सेमी कन्डक्टर डिवाइस है, जिसमें Current या Electricity गुजरती है तथा light emit करता है। LE.D. का रिजॉल्यूशन एवं रिफ्रेश रेट बेहतर होती है।
GP.S.-Gas Plasma Display भी E.D.P. का प्रकार ही होता है। Display किये जाने वाले रंगों (Colors) के आधार पर मॉनिटर 3 प्रकार के होते हैं-
1. मोनोक्रोम मॉनिटर (Monochrome Monitor)
★ यह मॉनिटर दो रंगों में डिस्प्ले प्रदर्शित करता है।
2. ग्रे स्केल मॉनिटर (Gray Scale Monitor)
★ यह काले एवं सफेद रंगों में डिस्प्ले प्रदर्शित करता है।
3. कलर मॉनिटर (Colour Monitor) यह लाल, हरे और नीले रंगों में डिस्प्ले प्रदर्शित करता है।
★ इसे RGB (Red, Green, Blue) मॉनिटर भी कहा जाता है।
Display Quality Factors
Pixel (पिक्सेल) – मॉनिटर की स्क्रीन पर प्रदर्शित होने वाला पिक्चर अनेक छोटे-छोटे बिन्दुओं से मिलकर बना होता है इन बिन्दुओं को पिक्सेल कहा जाता है।
रिजोल्यूशन (Resolution ) – मॉनिटर की स्क्रीन पर प्रदर्शित हॉरिजॉन्टल व वर्टीकल पिक्सल के गुणनफल को रिजोल्युशन कहा जाता है। अर्थात् इकाई क्षेत्रफल में उपस्थित बिन्दुओं या पिक्सेल संख्या को रिजोल्यूशन कहते हैं। ★ पिक्सेल की वह संख्या जिसे डिस्प्ले स्क्रीन समायोजित कर सकती है, रिजॉल्यूशन कहलाती है। ★ Resolution यह बताता है कि किसी Image में dots या Pixels की संख्या कितनी है।
★ स्टैण्डर्ड रिजोल्यूशन 800 × 600 या 1024 x 768 होता है।
★ रिजोल्यूशन को DPI (Dot Per Inch) या PPI (Pixel Per Inch) में मापा जाता है।
नोट: – रिजोल्यूशन जितना अधिक होगा पिक्सेल उतने ही नजदीक होंगे तथा पिक्चर उतनी ही अधिक स्पष्ट होगी। इमेज रिजॉल्यूशन किसी image में प्रिन्टेड लम्बाई की प्रति इकाई द्वारा प्रदर्शित print की संख्या है। किसी इमेज का रिजॉल्यूशन अपसैम्पलिंग (Upsampling) प्रक्रिया द्वारा बढ़ाया जाता है। अपसैम्पलिंग प्रक्रिया द्वारा रिजॉल्यूशन एवं मैप की डैप्थ में वृद्धि की जाती है।
डॉट पिच (Dot Pitch) — दो पिक्सेल के बीच की दूरी को डॉट पिच ही स्पष्ट प्रदर्शित होगी।
★ डॉट पिच जितनी कम होगी पिक्चर उतनी कहा जाता है।
डॉट पिच को फोस्फोर पिच या लाइन पिच या स्ट्राइप पिच कहा जाता है।
Important Note :- * Number of dots in Picture Pixel & Resolution
चित्र में डॉट्स की संख्या पिक्सेल रिजॉल्यूशन
रिफ्रेश रेट (Refresh Rate)—स्क्रीन पर उपस्थित पिक्चर को कितनी डॉट पिच बार Refresh किया गया अर्थात् रिफ्रेश करने की दर को रिफ्रेश रेट कहा जाता है। मॉनिटर की रिफ्रेश रेट को हर्ट्ज (Hertz) में मापा जाता है। रिफ्रेश रेट 25 से कम होने पर चित्र झलकते (flickering)हैं। रिफ्रेश रेट अधिक होने से मॉनिटर की गुणवत्ता बढ़ती है।
आस्पेक्ट रेशियो (Aspect Ratio) — मॉनिटर स्क्रीन की चौड़ाई एवं ऊंचाई का जो अनुपात होता है उसे Aspect Ratio कहा जाता है। मॉनिटर की उर्ध्व लंबाई का उसकी क्षैतिज लम्बाई से संबंध एस्पेक्ट रेशियों कहलाता है। अधिकांश मॉनिटर का Aspect Ratio 16:9 होता है।
रेस्पॉन्स टाइम (Response Time ) — कोई पिक्सेल जब एक रंग को बदलकर दूसरा रंग प्रदर्शित करता है तो इसमें लगा समय रेस्पान्स टाइम कहलाता है। मॉनिटर का रेस्पांस टाइम जितना कम होगा वो उतना ही बेहतर आउटपुट (Better Output) प्रदान करेगा। नोट :- HD (High definition), VGA आदि डिस्प्ले की गुणवता को दर्शाते हैं।
बिट मेपिंग (Bit Mapping ) — मॉनिटर की स्क्रीन पर text एवं picture को एक साथ प्रदर्शित करने के लिए जो technique काम ली जाती है उसे Bit Mapping कहा जाता हैं।
इंटरलेसिंग (Interlacing) — इंटरलेसिंग के अंतर्गत यह बताया जाता है कि मॉनिटर पर प्रदर्शित होने वाला पिक्चर कैसे बनाया जाता है। इसमें एक लाइन को उसके विपरीत वाली लाइन के साथ स्कैन करते हुए पिक्चर को बनाया जाता है।
रिजोल्यूशन ज्यादा अच्छी होने से Non-interlacing मॉनिटर अधिक प्रयुक्त होता है।
अपसैम्पलिंग (Upsampling)—– अपसैम्पलिंग एक ऐसी प्रोसेस है जो किसी दिए गए डिवाइस पर किसी भी इमेज की भौतिक विमाओं (Physical Dimensions) में वृद्धि करने हेतु प्रयुक्त होती है। इस प्रक्रिया द्वारा मैप की डैप्थ में वृद्धि की जाती है।