How To Work System Software [सिस्टम सॉफ्टवेयर कैसे काम करें]

How To Work System Software [सिस्टम सॉफ्टवेयर कैसे काम करें]

 सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)

सिस्टम सॉफ्टवेयर प्रोग्रामो का ऐसा समूह है जो कम्प्यूटर सिस्टम को कार्य करने योग्य बनाता है, तथा कम्प्यूटर सिस्टम के मूलभूत कार्य सम्पन्न करता है। कम्प्यूटर पर किसी प्रोग्राम के क्रियान्वयन (execution) एवं कम्प्यूटर के संचालन हेतु सिस्टम सॉफ्टवेयर आवश्यक होते हैं। सिस्टम सॉफ्टवेयर को अन्य सॉफ्टवेयर का आधार कहा जाता है क्योंकि एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को कार्य करने का वातावरण एवं पृष्ठभूमि सिस्टम सॉफ्टवेयर ही उपलब्ध करवाता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर के माध्यम से ही कम्प्यूटर में अन्य सॉफ्टवेयर को बनाया एवं चलाया जाता है।

सिस्टम सॉफ्टवेयर को कम्प्यूटर सिस्टम के लिए एक आवश्यक सॉफ्टवेयर कहा जाता है क्योंकि यह सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर सिस्टम का इस प्रकार संचालन करता है कि उस पर एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर चल सके।

सिस्टम सॉफ्टवेयर के प्रमुख कार्य (Major Functions of System Software)

कम्प्यूटर के विभिन्न पेरिफेरल डिवाइस का समन्वय एवं नियंत्रण करना । कम्प्यूटर सिस्टम में इनपुट-आउटपुट, मेमोरी, प्रोसेसर, पेरिफेरल डिवाइस एवं विभिन्न हार्डवेयर संसाधनों का नियंत्रण, समन्वय एवं अधिकतम उपयोग को सुनिश्चित करने का कार्य सिस्टम सॉफ्टवेयर करता है। उपयोगकर्ता (User), एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर के मध्य मध्यस्थ का कार्य करना ।

सिस्टम सॉफ्टवेयर के उदाहरण — डॉस (DOS), विण्डोज (Windows), लिनक्स (Linux), यूनिक्स (Unix ), मैकिन्टोस (Macintosh)

System Software में निम्नलिखित प्रोग्राम सम्मिलित होते हैं—

1. ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System)

2.प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (Programming Language)

3. भाषा अनुवादक (Language Translator)

4. यूटिलिटि प्रोग्राम (Utility Program) 

5. डिवाइस ड्राइवर ( Device Driver)

6.ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System)

ऑपरेटिंग सिस्टम एक प्रकार का सिस्टम सॉफ्टवेयर है, इसको संक्षिप्त में OS भी कहा जाता है। ऑपरेटिंग सिस्टम विशेष प्रकार के प्रोग्रामों का समूह है जो के विभिन्न रिसोर्सेज को मैनेज करने हेतु एवं कम्प्यूटर सिस्टम के सभी Operations को क्रियान्वित करने हेतु प्रयुक्त होता है। कम्प्यूटर यह प्रोग्रामो का ऐसा समूह है, जो कम्प्यूटर के संसाधनों जैसे- कम्प्यूटर को स्टार्ट करना, प्रोग्रामो को मैनेज करना, इनपुट- आउटपुट मैनेजमेंट, मेमोरी मैनेजमेंट, डिवाइस मैनेजमेंट, फाइल मैनेजमेंट आदि कार्य करने हेतु बनाया गया है।

ऑपरेटिंग सिस्टम एक आवश्यक एवं मूलभूत सॉफ्टवेयर है, जो कम्प्यूटर सिस्टम के सभी कार्यों का संचालन एवं नियंत्रण (Operate and Control) करता है।ऑपरेटिंग सिस्टम एक मास्टर कंट्रोल प्रोग्राम (Master Control Program) होता है, जो कम्प्यूटर के संचालन का कार्य करता है।

कम्प्यूटर के स्विच ऑन होने के पश्चात कम्प्यूटर की मेमोरी में लोड होने वाला यह पहला प्रोग्राम है। ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटिंग में बहुत से कार्यों को सम्पन्न करने हेतु प्रयुक्त होता है, सम्पूर्ण ऑपरेटिंग सिस्टम को कम्प्यूटर की कार्यशील मेमोरी (RAM) में स्थान पर देने पर बहुत अधिक स्पेस (space) 1 की आवश्यकता होती है, इस समस्या को हल करने हेतु इस प्रोग्राम को कई भागों में विभाजित किया जा सकता है—

 रेजिडेन्ट प्रोग्राम (Resident Program ) — ऐसे प्रोग्राम जो हमेशा मेमोरी में उपलब्ध रहते है, इस प्रकार के प्रोग्राम प्राथमिक ऑपरेशन्स जैसे—यूजर प्रोग्राम को स्टार्ट एवं एण्ड करना, मेमोरी का एलोकेशन, फाइल्स का आवंटन, इनपुट-आउटपुट फंक्शन बै के इंटरप्ट हैंडलिंग को एक्जिक्यूट करना आदि कार्य करते है । इन्हें (routine या supervisor प्रोग्राम भी कहा जाता है।  

ट्रांजिएंट प्रोग्राम (Transient Program)—— ये ऐसे प्रोग्राम होते है जो हमेशा मेमोरी में उपलब्ध नहीं होते है, इन प्रोग्राम्स को केवल आवश्यकता होने पर ही कॉल किया जाता है। तथा जब इनकी आवश्यकता नहीं होती है, तब हटा दिया जाता है। 

ऑपरेटिंग सिस्टम user एवं कम्प्यूटर के मध्य इंटरफेस उपलब्ध कराता है, इसे यूजर एवं कम्प्यूटर के लिए गाइड (Guide) भी कहा जाता है। 

यूजर तथा कम्प्यूटर के मध्य संपर्क कराने का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम करता है। तथा इनके मध्य क्रियाओं का संचालन ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा किया जाता है।यूजर की समस्त सूचनाओं को कम्प्यूटर तक पहुँचाने का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम करता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर, हार्डवेयर तथा एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के मध्य कड़ी / ब्रिज / पुल / सेतु के रूप में कार्य करता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर के दिए निर्देश एवं डाटा को मशीनी भाषा में बदलता है एवं प्रोसेस के पश्चात परिणाम को पुनः यूजर के समझने योग्य ‘भाषा में बदलता है।

कम्प्यूटर सिस्टम में किसी भी कार्य को करने से पहले कम्प्यूटर सिस्टम की मेमोरी में ऑपरेटिंग सिस्टम का होना अत्यंत आवश्यक है। ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा यह नियंत्रण एवं प्रबंधन किया जाता है कि कम्प्यूटर सिस्टम के उपकरणों से किस प्रकार कार्य करवाना है।

यह एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को चलाने हेतु प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाता है।  MS Windows, Unix, Linux, Android OS, Mac OS,

आदि ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण है। ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार (Types of Operating System) Operating System को निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया है—

(A) कार्य के आधार पर (Based on Work)

(B) यूजर इन्टरफेस के आधार पर (Based on User Interface)

(C) यूजर उपयोग के आधार पर (Based on User Use)

(A) कार्य के आधार पर ऑपरेटिंग (Operating System Based on Work) बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Batch Processing Operating System) इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में एक समान कार्य को बैच या ग्रुप के रूप में पूरा किया जाता है। इस हेतु बैच मॉनिटर (Batch Monitor) सॉफ्टवेयर प्रयुक्त होता है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम एक समय में एक ही कार्य करता है। इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में यूजर को अपने दूसरे कार्य के लिए तब तक इंतजार करना पडता है जब तक यूजर द्वारा दिया गया पहला कार्य पूरा नहीं हो।

किसी Job की Processing Fail हो जाने पर Batch की बाकी जॉब को अज्ञात समय तक प्रतीक्षा करनी होती है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग ऐसे कार्यों हेतु किया जाता है, जिनमें मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती है।जैसे—पेरोल बनना, सांख्यिकी विश्लेषण एवं बिल प्रिन्ट करना। 

मल्टी प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Multi Programming Operating System)

मल्टी प्रोग्रामिंग में एक साथ एक से अधिक प्रोग्राम को क्रियान्वित (execute) करा सकते हैं, एक साथ execution का अर्थ यह है कि जब प्रोग्राम हाल ही में (रीसेन्ट) में CPU का उपयोग ना कर रहा हो तब दूसरा Program Execute होता है एवं इसी प्रकार पहला एवं दूसरा प्रोग्राम वर्तमान में CPU का उपयोग ना कर रहा हो, तब तीसरा प्रोग्राम Executable होता है अर्थात् CPU कई प्रोग्रामों को Execution तो करता है किन्तु एक निर्देश Execute होने के बाद ही मेन मेमोरी में स्थित दूसरे निर्देश को Execute किया जाता है। जैसे जब किसी प्रोग्राम का एक्जिक्यूशन पूर्ण हो जाता है। तो जब उसका प्रिन्ट (Print) लिया जा रहा होता है तो प्रोसेसर खाली बैठनेके स्थान पर ऐसे दूसरे प्रोग्राम का एक्जिक्यूशन प्रारम्भ कर देता है। जिसमें Printer की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें सम्पूर्ण प्रोग्रामों के क्रियान्वयन (Execution) में लगने वाला समय कम हो जाता है। इस प्रकार के Operating System में CPU के कन्ट्रोल को एक जॉब से दूसरे जॉब पर स्थानान्तरित किया जाता है। परिणामस्वरूप CPU कभी भी Idle Stage में नहीं रहता है एवं ऐसा करने से CPU कभी बेकार (Inactive) नहीं रहता एवं सभी Processes को Execute होने के लिए भी लम्बा इंतजार नहीं करना पड़ता।

मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Multitasking Operating System)

एक समय पर एक ही मशीन के रिसोर्स को शेयर करके उस पर अनेक (Multiple) कार्य करने को मल्टीटास्किंग कहा जाता है। मल्टीटास्किंग के अंतर्गत एक से अधिक कार्य एक ही सी.पी.यू. के द्वारा एक साथ पूरे किए जाते हैं।

इसमें प्रोसेसर इतना शक्तिशाली होता है कि वह सभी कार्यों को एक साथ संभाल लेता है, तथा किसी कार्य को निश्चित समय में पूरा करता है उसके बाद प्रोसेसर मुख्य मेमोरी में किसी दूसरे प्रोसेस को निष्पादित करने लग जाता है।

मल्टी प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम(Multiprocessing Operating System) 

इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में किसी कार्य को क्रियान्वित (Execute) करने हेतु दो या दो से अधिक प्रोसेसरों को आपस में जोड़कर उनका प्रयोग किया जाता है। इस O.S. में दो या दो से अधिक Processors द्वारा एक से अधिक प्रोग्रामों को या एक ही प्रोग्राम को कई भागों में बांटकर Execute किया जाता है।इसमें कई प्रोसेसर एक साथ कार्य करने से किसी प्रोसेस का एक्जिक्यूशन (क्रियान्वयन) तीव्र गति से होता है। Multiprocessing को पैरेलल प्रोसेसिंग (Parallel Processing) भी कहा जाता है।

टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम(Time Sharing Operating System)

इस ऑपरेटिंग सिस्टम में CPU के द्वारा अनेक कार्यों (Multiple Jobs) को एक्जिक्यूट किया जाता है एवं CPU लगातार एक टास्क से दूसरी टास्क में स्विच करता रहता है जिसके कारण यूजर को तेजी से रिस्पॉन्स (Immediate Response) मिलता है। उदाहरण- जैसे एक यूजर A है एवं एक यूजर B है, दोनों User को किसी कमाण्ड को Execute करने के लिए एक क्वाण्टम टाइम प्रदान किया जाता है एवं जब यूजर कमाण्ड देता है तो कुछ सैकण्ड के Response में ही उनके कमाण्ड को Execute कर दिया जाता है। क्योंकि CPU ने User के ऑपरेशन के लिए शेड्यूलिंग (Scheduling) की होती है। इस O.S. में Quick Response मिलता है एवं CPU का Idle समय कम रहता है।

इसमें कई उपयोगकर्ता (Users) जो टर्मिनल कहलाते हैं इन्टरएक्टिव मोड में कार्य करते हैं। टाइम स्लाइस (Time Slice) या क्वाण्टम टाइम टाइम स्लाइस प्रत्येक User को संसाधनों के साझा उपयोग हेतु दिया गया समय होता है। इस समय को क्वांटम टाइम भी कहते हैं।

टर्न अराण्ड टाइम (Turn Around Time)

इनपुट देने एवं आउटपुट प्राप्त करने के बीच लगा समय। स्वैपिंग (Swapping) — इस प्रकार के Operating System में मुख्य मैमोरी में कई प्रोग्राम एक साथ उपस्थित रहते हैं। मैमोरी के सही उपयोग के लिए प्रोग्राम का वह हिस्सा ही मुख्य मैमोरी (Main) Memory) में रखा जाता है, जो प्रोग्राम क्रियान्वयन हेतु जरूरी हो, यह प्रक्रिया ही स्वैपिंग है।

डिस्ट्रीब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम (Distributed Operating System)

इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में किसी कार्य को भौतिक रूप से अलग-अलग स्थानों पर स्थित कम्प्यूटरों के मध्य बाँटा जाता है। जब कई सारे Computers किसी Network के माध्यम से आपस मे interconnect होकर एक दूसरे से task sharing करते हैं, तो उसे distributed operating system कहा जाता है।

Distributed Operating System की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें Remotely अर्थात् Wireless access किया जा सकता है अर्थात् एक यूजर दूर स्थित दूसरे सिस्टम में रखे डाटा को Remotely access कर कार्य सम्पन्न कर सकता है।

एम्बेडेड ऑपरेटिंग सिस्टम (Embedded Operating System)

एम्बेडेड ऑपरेटिंग सिस्टम किसी विशेष कार्य (Specific task) को पूर्ण करने हेतु बनाया जाता है, Embedded O.S. एक डेडिकेटेड प्रकार का सॉफ्टवेयर होता है, जो केवल वही कार्य करता है, जिस कार्य के लिए डिजाइन किया जाता है।

जैसे—ऑटोमेटेड वाशिंग मशीन कपड़ों को Wash करने हेतु बनी है तो यह कपड़ों को Wash करने का कार्य ही करेगी। 

Embedded Operating System आम मनुष्य की दैनिक दिनचर्या में भी अधिक होता है।

जैसे—स्मार्ट घड़ी, ऑटोमेटेड वाशिंग मशीन, डिजिटल कैमरा, विडियो गेम कन्सोल, डीवीडी प्लेयर, प्रिन्टर आदि में एम्बेडेड ऑपरेटिंग सिस्टम ही प्रयुक्त होता है। Embedded System का हार्डवेयर माइक्रोकन्ट्रोलर पर आधारित होता है। यह छोटी चिप होती है जो CPU की तरह कार्य करती है। इसमें इनपुट-आउटपुट डिवाइस, प्रोसेसर, मेमोरी आदि शामिल होते हैं।

रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम (Real Time Operating System)

Real Time Operating System एक ऐसा सिस्टम होता है जो कि न केवल कम्प्यूटर के द्वारा execute किए गए परिणाम को निर्धारित करता है बल्कि एक निश्चित या बताए गए समय (deadline) त्वरित परिणाम प्रदान करता है। इस तरह के सिस्टम अधिक मात्रा हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर का उपयोग करते हैं। में ही वाले इस ऑपरेटिंग सिस्टम में सी.पी.यू. का रेस्पांस टाइम बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है। इस प्रकार के O.S. रियल टाइम अर्थात् वास्तविक समय पर कार्य करते हैं

इसमें इनपुट को प्रोसेस करने और रेस्पांस देने में लगने वाला समय बहुत कम होता है, इस समय अंतराल को प्रतिक्रिया समय कहा जाता है। रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग तब किया जाता है, जब समय की महत्ता बहुत अधिक हो।

जैसे—मिसाइल सिस्टम जहाँ एक निश्चित समय में मिसाइल को लॉन्च करना ही होता है। इसका उपयोग परमाणु रिएक्टरों, उपग्रहों का संचालन, रेलवे आरक्षण, वायुयान नियंत्रण, चिकित्सा आदि में किया जाता है। रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम दो प्रकार का होता है- (1) हार्ड रियल टाइम ओ.एस. (2) सॉफ्ट रियल टाइम ओ.एस.

1. हार्ड रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम —यह उन एप्लीकेशन में उपयोग किये जाते हैं, जहाँ समय की बहुत सख्ती हो या प्रतिक्रिया देने में थोड़ी भी देरी स्वीकार्य नहीं है। इन्हें ज्यादातर क्रिटीकल ऑपरेशन के लिए उपयोग किया जाता है।

2.सॉफ्ट रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम —यह हार्ड रियल टाइम के मुकाबले कम प्रतिबंधक होते हैं, प्रतिक्रिया समय में थोड़ी देरी स्वीकार की जा सकती है। 

नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम (Network Operating System) नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम में हार्डवेयर पेरीफेरल्स की सहायता कम्यूनिकेशन के लिए कम्प्यूटर्स का एक नेटवर्क बनाया जाता है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम एक Server पर चलता है एवं सर्वर को डेटा, यूजर, समूह, सिक्योरिटी एवं अन्य नेटवर्किंग कार्यों को प्रतिबंधित करने की क्षमता प्रदान करता है।

इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम का प्राथमिक उद्देश्य एक नेटवर्क में स्थित कई कम्प्यूटरों के बीच फाइलों को शेयर करना और प्रिन्टर को एक्सेस करने की अनुमति देना है। उदाहरण—MS विण्डोज सर्वर 2003, यूनिक्स, लिनक्स, नोवेल नेटवेयर

(B) यूजर इंटरफेस के आधार पर ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System Based on User Interface)

कैरेक्टर यूजर इन्टरफेस (Character User Interface-CUI) Character User Interface Command Line Interface भी कहा जाता है।

 इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में सभी कार्य व निर्देश Character/ Command के रूप में दिए जाते हैं। इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में कार्य करने के लिए यूजर का तकनीकी रूप से दक्ष होना आवश्यक है। क्योंकि इसमें किसी प्रोग्राम में कार्य करते समय उस प्रोग्राम से सम्बन्धित कमाण्ड व निर्देश याद रखने पड़ते हैं। उदाहरण – MSDOS (Microsoft Disk Operating System)

ग्राफिकल यूजर इंन्टरफेस (Graphical User Interface-GUI) GUI (Graphical User Interface) 3 Xerox (जेरॉक्स) कम्पनी द्वारा किया गया। इस प्रकार के ऑपरेटिंग में समस्त कार्य एवं निर्देश ग्राफिकल अथवा चित्रात्मक रूप में पूरे किए जाते हैं जिन्हें प्रयोक्ता आसानी से उपयोग में ले सकता है, एवं आसानी से समझ सकता है। इसलिए GUI OS यूजर फ्रैण्डली होते हैं।

1980 के दशक में विभिन्न शोध कार्यों से जीरोक्स कॉर्पोरेशन (Xerox Corporation) RT GUI (Graphical User Interface) विकसित किया गया। इसके अनुसार हाथ में पकड़े जाने वाले किसी संकेतक साधन जैसे – माउस द्वारा चित्रों के माध्यम से कम्प्यूटर के साथ संवाद करना कहीं अधिक सरल है। Xerox कम्पनी ने GUI की सुविधा के साथ जीरोक्स स्टार (Xerox Star) नामक कम्प्यूटर विकसित किया।

 ग्राफिकल यूजर इन्टरफेस के माध्यम से ऑपरेटिंग सिस्टम एक व्यक्ति को प्रतीकों, आइकन, विजुअल मेटाफर और पॉइटिंग डिवाइसों के उपयोग के माध्यम से कम्प्यूटर के साथ संवाद करने में सक्षम बनाता है। इन सबका उपयोग करके यूजर कम्प्यूटर पर आसानी से कार्य कर सकता है।

उदाहरण— Windows XP, Windows 7, Windows 8, Windows 8.1, Windows 10, Windows 11, Windows Vista, Android, Mac OS, Linux Mint etc.

(C) यूजर उपयोग के आधार पर (O.S. Based on User Use)

सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम (Single User Operating System) सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम में एक समय में केवल एक ही यूजर कार्य कर सकता है। इसमें एक समय में केवल एक ही प्रोग्राम क्रियान्वित (execute) होता है। क्रियान्वयन में लगी समय सीमा एवं संसाधनों के बेहतर उपयोग को वरीयता देने के बजाय Program की सरलता एव user को अधिक से अधिक सुविधा प्रदान करने पर जोर दिया गया। उदाहरण— MSDOS, Mac OS, Windows 95, Windows 98, Windows ME, Windows CE.

मल्टीयूजर ऑपरटिंग सिस्टम (Multi User Operating System) मल्टीयूजर ऑपरेटिंग सिस्टम में कई User एक ही समय में कम्प्यूटर में स्थित डाटा का उपयोग कर सकते हैं एवं उस डाटा पर Processing कर सकते हैं। एक से अधिक यूजर कार्य करते समय टर्मिनल बना लेते हैं। इस O.S. का प्रयोग नेटवर्क से जुड़े कम्प्यूटर सिस्टम करते हैं। जैसे – Linux, Unix, Windows NT, Windows XP, Windows Zoro, Mac OSX, Ubuntu etc. अतिमहत्त्वपूर्ण नोट:- विण्डोज के वर्जन Windows 1.0, Windows 2.x, Windows 3.x, Windows 95, Windows 98, Windows ME, Windows CE आदि सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम है जबकि Windows NT, Windows 2000, Windows XP, Windows Vista, Windows 7, Windows 8, Windows 10 आदि मल्टीयूजर ऑपरेटिंग सिस्टम है।

ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य (Functions of Operating Sysem)

ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य कार्यों में यूजर इंटरफेस, मेमोरी प्रबंधन, डिवाइस प्रबंधन, प्रोसेस मैनेजमेंट, साउण्ड मैनेजमेंट, नेटवर्क मैनेजमेंट आदि शामिल है।

यूजर इंटरफेस (User Interface) Computer एवं User के मध्य संपर्क स्थापित करने के लिए अर्थात् यूजर द्वारा दी गई सूचना को कम्प्यूटर को समझाना एवं कम्प्यूटर की सूचनाओं को यूजर को समझने का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा ही किया जाता है।  ऑपरेटिंग सिस्टम दो प्रकार के इंटरफेस (संपर्क) उपलब्ध करवाता है-

(i) CUL— Character User Interface / Command Line Interface.

(ii) GUI Graphical User Interface.

फाइल मैनेजमेंट (File Management ) कम्प्यूटर में किसी फाईल को किस नाम से एवं मेमोरी की कौनसी डायरेक्ट्री में स्टोर करना है। ऑपरेटिंग सिस्टम के फाइल मैनेजमेंट फंक्शन द्वारा फाइल से संबंधित गतिविधियाँ जैसे—फाइल कब बना, कितने साइज का है, किस यूजर ने बनाया है, फाइल को किस नाम से सेव करना है (नेमिंग), फाइल को मेमोरी की किस डायरेक्ट्री में स्टोर करना है (स्टोरिंग), फाइल की शेयरिंग, फाइल प्रोटेक्शन आदि कार्य किया जाता है। ये सभी प्रोसेस फाइल सिस्टम द्वारा मैनेज किए जाते हैं।

मेमोरी मैनेजमेंट (Memory Management) कम्प्यूटर में किसी डाटा को मेमोरी में कहाँ स्टोर करना है तथा आवश्यकता होने पर डाटा को मेमोरी में किस स्थान से पढ़ना या एक्सेस करना है। मेमोरी मैनेजमेंट द्वारा O.S. प्राइमरी मैमोरी को ट्रेक करता है अर्थात् Main Memory का कौनसा हिस्सा इस्तेमाल होगा, कौनसा नहीं, कितना होगा, कितना नहीं होगा यह मेमोरी मैनेजमेंट द्वारा ही ट्रेक होता है-

जब कोई प्रोसेस मेमोरी के लिए request करती है, तो मेमोरी मैनेजमेंट द्वारा प्रोसस के लिए मेमोरी आवंटित (Memory Allocate) की जाती है। जब किसी प्रोसेस की मेमोरी की आवश्यकता नहीं होती तो यह मेमोरी को डी आवंटित (De Allocate) करता है अर्थात् मेमोरी समाप्त कर देता है।

प्रोसेस मैनेजमेंट (Process Management )—इसके अंतर्गत यह निर्धारित किया जाता है कि किसी प्रोग्राम के द्वारा कार्य करने के लिए प्रोसेसर को कितना समय देना है एवं कार्य को कैसे करना है। 5. यदि कम्प्यूटर में एक से अधिक प्रोसेस चल रहे है तो उन सभी प्रोसेस को पूरा करने हेतु CPU एवं अन्य डिवाइस का मैनेजमेन्ट प्रोसेस

मैनेजमेन्ट द्वारा ही किया जाता है। प्रोसेस मैनेजमेंट में किसी प्रोसस का निर्माण करना, प्रोसेस को हटाना, संसाधनों (Resources) की शेडयूलिंग करना आदि कार्य शामिल मल्टी प्रोग्रामिंग एन्वॉयरमेंट में ऑपरेटिंग सिस्टम यह डिसाइड करता है, कि किस प्रोसेस को प्रोसेसर उपयोग करने के लिए देना है, कब देना है और कितनी देर के लिए देना है। यह फंक्शन ही प्रोसेस शेडयूलिंग (Process Scheduling) कहलाता हैं।

 प्रोसस मैनेजमेंट द्वारा ही विभिन्न प्रोसस के बीच सिन्क्रोनाइजेशन (Synchronization) कराना, कम्यूनिकेशन मैकेनिज्म (Communication Mechanism ) प्रदान करना आदि शामिल है।

प्रोसस मैनेजमेंट की प्रक्रिया में ऑपरेटिंग सिस्टम यह भी ट्रेक करता है कि प्रोसेसर Free है या कुछ कार्य कर रहा है तथा कितने काम चल रहे हैं एवं कितने नहीं ।  किसी इनपुट डिवाइस द्वारा दिए गए इनपुट/डाटा को मैमोरी में सही स्थान पर Store करना, इनपुट किए गए डेटा को प्रोसेस करना एवं प्रोसेस के बाद मिलने वाले परिणाम को आउटपुट डिवाइस तक भेजना आदि कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा ही किए जाते है। ग्राफिकल यूजर इन्टरफेस ऑपरेटिंग सिस्टम में टेक्स्ट, पिक्चर, एनिमेशन, ऑडियो तथा विडियो उपलब्ध होते है।

सिक्यूरिटी मैनेजमेंट (Security Management ) — सिक्यूरिटी मैनेजमेंट द्वारा कम्प्यूटर सिस्टम के संसाधनों एवं इन्फॉर्मेशन को unauthrorised access के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान की जाती है। जैसे—जब यूजर कम्प्यूटर को ON करता है तो कम्प्यूटर आपको पासवर्ड पूछता है, इस प्रकार O.S. आपके कम्प्यूटर सिस्टम को अनाधिकृत एक्सेस (Unauthorised access) से रोकता है।

इन्टेग्रिटी मैनेजमेंट ( Integrity Management)—इस फंक्श द्वारा एकीकृत रूप में डाटा एवं प्रोग्राम को मैन्टेन – ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर को ऑपरेट करते समय विभिन्न प्रकार की डिवाइसों एवं ड्राइवरों का प्रबन्धन करता है। जैसे—Sound driver, Bluetooth driver, Graphics driver आदि। ड्राइवर्स को ऑपरेटिंग सिस्टम चलाता है। डिवाइस प्रबंधन (Device Management) द्वारा यह तक किया जाता है कि कौनसी प्रक्रिया (process) डिवाइस को कब एवं कितने समय के लिए प्राप्त करेगी।

 नेटवर्क मैनेजमेंट—विभिन्न प्रकार के Network Components को Manage करने हेतु प्रयुक्त । ध्वनि (साउण्ड) मैनेजमेंट — Sound, Voice आदि को Manage करना।

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