how application software works [एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है]

how application software works [एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है]

अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर (Application Software) 

कम्प्यूटर सिस्टम के ऐसे Softwares जो किसी निश्चित उद्देश्य व किसी विशेष कार्य के लिए बनाये जाते हैं उन्हें Application Software कहा जाता है। Application Software को End User Software भी कहा जाता है।Application Software बनाने के लिए उच्चस्तरीय भाषा का प्रयोग किया जाता है। विभिन्न प्रकार के वेब ब्राउजर (Web Browser) जैसे—Google Chrome, Mozila Firefox, Opera, Safari आदि भी एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर ही है।

Application Software के उदाहरण-वर्डप्रोसेसर (MS Word ), फोटोशॉप, कोरल ड्रा, स्प्रेडशीट (MS Excel), टेली अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर, वेब ब्राउजर, मीडिया प्लेयर सॉफ्टवेयर आदि हैं जिनका संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार हैं- नोट:- कैड का सम्बन्ध डिजाइनिंग से है, ऑटोकैड सॉफ्टवेयर प्रयोग नक्शा बनाने हेतु आर्किटेक्ट करते हैं। कावर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर (Word Processing Software) कम्प्यूटर में टेक्स्ट दस्तावेज को तैयार करने संशोधित करने एवं प्रिन्ट करने हेतु प्रयुक्त होता है।

स्प्रेडशीट सॉफ्टवेयर (Spreadsheet Software ) — इसका प्रयोग गणितीय एवं सांख्यिकी कार्य करने हेतु होता है। मुख्य रूप से इसे बैंकों एवं व्यापारिक प्रतिष्ठानों में लेजर (Ledger) बनाने हेतु प्रयुक्त किया जाता है।

प्रेजेन्टेशन सॉफ्टवेयर (Presentation Software) – इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग किसी बड़ी मीटिंग, सम्मेलन या बड़ी संख्या में उपस्थित श्रोताओं के सामने सूचनाओं के प्रस्तुतीकरण हेतु होता है। 

एकाउन्टिंग सॉफ्टवेयर ( Accounting Software ) —ये सॉफ्टवेयर वित्तीय लेखांकन एवं व्यापारिक लेन-देन को आसान बनाने हेतु प्रयुक्त होते है।

नोट :- टैली (Tally) भारत में बना लोकप्रिय एकाउन्टिंग सॉफ्टवेयर है। डाटा बेस सॉफ्टवेयर (Data Base Software ) — डाटा बेस सॉफ्टवेयर का प्रयोग डाटा के सही प्रबन्धन हेतु होता है। डाटा को स्टोर करना, डाटा को संशोधित करना डाटा बेस सॉफ्टवेयर का ही भाग है।

ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर (Graphics Software) – ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर द्वारा ग्राफ, चित्र और रेखाचित्र का निर्माण करना, उनमें संशोधन करना एवं प्रिन्ट करना शामिल है।

नोट :- Adobe Photoshop एक लोकप्रिय ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर है। डेस्कटॉप पब्लिशिंग (Desktop Publishing)—डेस्कटॉप पब्लिशिंग को संक्षिप्त रूप से DTP कहा जाता है। इसके द्वारा टेक्स्ट डाटा को कम्प्यूटर में एन्टर करके प्रकाशन कार्य हेतु प्रयुक्त किया जा सकता है।

नोट :- पेज मेकर (Page Maker), कोरल ड्रा (Corel Draw) एवं वेंनचूरा (Ventura) DTP सॉफ्टवेयर है।

कैड सॉफ्टवेयर (Cad Software) – CAD का पूर्ण नाम Computer Aided Design होता है, इसके द्वारा इंजीनियरिंग, वैज्ञानिक डिजाइन एवं नक्शे तैयार किए जाते है। नोट— Auto CAD एवं Auto Desk कैड सॉफ्टवेयर के उदाहरण है। इनका संबंध डिजाइनिंग से है।

यूटिलिटि सॉफ्टवेयर (Utility Software)

ऐसे सॉफ्टवेयर जो कम्प्यूटर सिस्टम के रखरखाव व मरम्मत के उद्देश्य से बनाये जाते हैं उन्हें यूटिलिटी सॉफ्टवेयर कहा जाता है। यूटिलिटी सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर सिस्टम रिपेयरिंग एवं मैन्टेनेन्स हेतु बनाये जाते हैं।

यूटिलिटि सॉफ्टवेयर का प्रयोग कम्प्यूटर के कार्य को सरल बनाने एवं कम्प्यूटर के विभिन्न सुरक्षा कार्यों हेतु किया जाता है। यूटिलिटी सॉफ्टवेयर छोटे-छोटे प्रोग्राम होते हैं जो कम्प्यूटर की कार्यक्षमता (Performance) में वृद्धि करते हैं।  यूटिलिटि सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर को उचित ढंग से Configure करने, एनालाइज एवं मैन्टेन करने तथा ट्रबलशूटिंग करने हेतु प्रयुक्त होता है। जैसे— एन्टीवायरस; बैकअप, फाइल मैनेजट आदि यूटिलिटि सॉफ्टवेयर है।

प्रमुख रूप से प्रयुक्त यूटिलिटि सॉफ्टवेयर निम्नलिखित हैं- 

एंटीवायरस (Antivirus) – यह वायरस को ढूंढकर उसे कम्प्यूटर की मेमोरी से हटाता है अर्थात् एंटीवायरस के द्वारा वायरस को निष्क्रिय किया जाता है। एंटीवायरस के उदाहरण-नॉटर्न, क्विकहील, अवीरा, के-7, केस्पर्स की आदि।

डिस्क क्लीनअप / क्लीनर (Disk Cleanup ) – यह अनावश्यक फाइलों को कम्प्यूटर की मेमोरी से हटाता है अर्थात् मैमोरी डिस्क की अशुद्धियाँ तथा अनावश्यक प्रोग्राम व डाटा हटाकर उसकी क्षमता (Capacity) में वृद्धि की जाती है।

डिस्क डिफ्रेगमेन्ट (Disk Defragmenter) — किसी डिस्क में अलग-अलग स्थानों पर बिखरी फाइलों को एक स्थान पर एकत्रित करता है जिससे उन फाइलो को आवश्यकता होने पर बहुत कम समय आसानी से एक्सेस किया जा सकता है।

 डिस्क फॉर्मेटिंग (Disk Formatting ) — डिस्क फॉर्मेटिंग किसी स्टोरेज डिवाइस जैसे हार्ड डिस्क, सॉलिड स्टेट ड्राइव, फ्लॉपी डिस्क, यू.एस.बी. ड्राइव आदि को प्रारंभिक उपयोग के लिए तैयार करने की प्रक्रिया है। अर्थात् किसी मेमोरी डिस्क को उपयोग करने योग्य बनाता है।

 बैकअप प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर (Backup Program / Software)- कम्प्यूटर सिस्टम में डाटा को नष्ट होने से बचाने के लिए डाटा को किसी अलग मेमोरी में स्टोर करना अर्थात् डाटा की Copy बनाता है। तथा मेमोरी से कोई डाटा/ सूचना नष्ट होने पर उन्हे पुनः स्टोर किया जा सकता है।

डिस्क कम्प्रेशन (Disk Compression ) – इसके द्वारा डाटा को कम्प्रेश किया जाता है अर्थात् डाटा के आकार को कम किया जात है, जिससे मेमोरी में अधिक डाटा को स्टोर किया जा सके। नोट-डिस्क कम्प्रेशन जिप (Zip) के द्वारा किया जाता है, यह एक ऐसा प्रोग्राम है जो कम्प्यूटर की एक या एक से अधिक फाइलों को ए फाइल या फोल्डर में पैक कर लेती है, जो कि Original फाइल कम जगह लेता है और साइज में भी कम होता है । जिप (Ziफाइल को ‘आर्काइव (Archive)’ फाइल भी कहा जाता है। 

फाईल मैनेजर (File Manager ) – कम्प्यूटर सिस्टम में एक स्थ पर रखे गए सूचनाओं एवं डाटा का संग्रह फाईल कहलाता है। फाइ में किसी भी सूचना को स्टोर किया जा सकता है। एक या एक अधिक फाइलों को एक स्थान पर एक Folder में स्टोर किया सकता है।

 फाईल मैनेजर एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो फाईल एवं फोल्डर के प्रबन्धन हेतु बनाया गया है अर्थात् फाइलों एवं फोल्डरों को सही प्रकार से व्यवस्थित करने हेतु फाईल मैनेजर प्रयुक्त होता है ताकि मैमोरी का अनावश्यक प्रयोग ना हो।

विशेष प्रकार के सॉफ्टवेयर (Special Type of Software)

ट्रंकी सॉफ्टवेयर (Trunkey Software ) — किसी निश्चित कार्य या उद्देश्य के लिए आवश्यक हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को ट्रंकी सॉफ्टवेयर कहा जाता है।

* फ्रीवेयर (Freeware ) — ऐसे सॉफ्टवेयर जो निःशुल्क उपलब्ध होते हैं एवं उनकी आवश्यकता होने पर इंटरनेट से बिना किसी लागत के डाउनलोड किया जा सकता है, उन्हें फ्री-वेयर सॉफ्टवेयर कहा जाता है।

 ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (Open Source Software ) — ऐसे सॉफ्टवेयर जिनका सॉफ्टवेयर के साथ-साथ उनका सोर्स कोड भी निःशुल्क उपलब्ध होता है उसे ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर कहा जाता है। ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर में यूजर द्वारा सॉफ्टवेयर के सोर्स कोड मे आवश्यकता अनुसार परिवर्तन कर सॉफ्टवेयर को नया रूप दिया जा सकता है।

• शेयर वेयर (Shareware ) — ऐसे सॉफ्टवेयर जो निश्चित समयावधि के लिए निःशुल्क उपलब्ध होते हैं लेकिन निश्चित समयावधि खत्म होने के बाद उन सॉफ्टवेयर का भुगतान करके ही प्रयोग किया जा सकता है। उन्हें शेयरवेयर सॉफ्टवेयर कहा जाता है।

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