Creation and Maintenance of Websites {वेबसाइटों का निर्माण एवं रख रखाव}

Creation and Maintenance of Websites {वेबसाइटों का निर्माण एवं रख रखाव}

किसी Web site को बनाने के लिए user को निम्नलिखित components की आवश्यकता पड़ती है-

  1. Domain name
  2. Hosting
  3. Computer/mobile
  4. Internet Connection

Creation and Maintenance of Websites

Website बनाने के लिए सबसे पहले एक Domain खरीदना पड़ता है। Domain का मतलब website का नाम जैसे www.vdutechtuto.in है। Market में ऐसी बहुत सी Website है जहाँ से domain खरीदा जा सकता है। जैसे- GoDaddy, bigrock, hostinger आदि। उसके बाद hosting की आवश्यकता होती है। Hosting का अर्थ है जहाँ Client की Website को स्टोर रखते हैं अर्थात् Website को जिस memory के अंदर store रखा जाता है उसे hosting कहा जाता है। तीसरा step है domain तथा hosting को एक-दूसरे से connect करना ताकि यदि कोई user domain search करे तो उससे connect hosting में store website open हो जाती है।

Creation of Website and Blog

वर्तमान में ऐसी कई Website हैं जिन पर User free में अपनी Website बना सकता है। उनके उदाहरण हैं-

Blogger WordPress Wibly आदि उदाहरण के तौर पर blogger पर Website बनाने का process :

Blogger पर Website बनाने के लिए user के पास Gmail ID होना आवश्यक है। Blogger पर Website बनाने के लिए blogger.com को open करते हैं। → Blogger.com Gmail ID password Sign up करते हैं। Signup होने के बाद new window open होगी जिसमें user सबसे ऊपर title के आगे website का नाम लिखे। उसके बाद Address के field के आगे user अपनी website का domain name (URL) का नाम लिखे जो user रखना चाहता है। उसके बाद user अपनी website के लिये theme का चयन करता है। फिर Create blog के बटन पर click करना होगा। इस प्रकार user की normal website तैयार हो जायेगी। इस Website में user अपनी आवश्यकतानुसार Customize (बदलाव) कर सकता है।

Maintenance of Website

Website को बनाने के साथ-साथ उसका maintenance भी जरूरी होता है। Website maintenance का तात्पर्य उन कार्यों से है जो user की website को ठीक से रखने के लिए आवश्यक है। इसमें problems के लिए नियमित रूप से Website की जाँच करना और यदि किसी भी प्रकार की समस्या है तो उसे ठीक व Update करना है। WordPress Website बनाने वाली Site है इसके अनुसार Website को maintain रखने के लिए निम्न महत्त्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-

  1. Password बदले : Website maintenance के अनुसार User को अपनी Website का password powerful एवं Unique रखना चाहिए और वो भी समय-समय पर बदलते रखना चाहिए।
  2. Website Complete Backup : Backup user की site पर दूसरी सबसे महत्वपूर्ण maintenance tasks है। अगर साइट पर कोई error होती है, तो user अपने ब्लॉग को Restore (रीस्टोर कर सकता है और उसे आसानी से ठीक कर सकते हैं। कभी-कभी User के Backup plugging automatic बैकअप लेना बंद कर देते हैं इसलिए site का manual backup भी लेना चाहिए 
  3. Update : Client को हमेशा latest version का उपयोग करना चाहिए अन्यथा User/client को Security issue का सामना करना पड़ सकता है। मैन्युअली अपडेट की जाँच करने के लिए वर्डप्रेस अपडेट पेज पर जाएँ और सुनिश्चित करें कि आप latest version चला रहे हैं या नहीं।इसके अलावा अपने installed plugin और theme भी चेक करें।
  4. Spam Comments Check करना और उन्हें Delete करना : यदि Client अपने Blog पर स्पैम कमेंट को रोकने के लिए Akismet का उपयोग करते हैं, तो यह automatically spam comments को फिल्टर करता है। हालांकि, कभी-कभी एक valid comment को भी Spam comment के रूप में मार्क कर लेता है, इसलिए User को Spam comments folder को भी चेक करते रहना चाहिए।
  5. Database को Optimize करना : सभी information जो डेटाबेस में स्टोर होती है इसलिए unwanted data भी user के डेटाबेस में स्टोर हो जाते हैं जो Backup Files की Size को बढ़ा देते हैं लेकिन User Database Optimize करके client unwanted data delete कर सकता है। इसके लिए user, WP-Optimize plugin का उपयोग कर सकता है। यह database defragment_tables को clean करने और database performance को सुधारने में मदद करता है।
  6. 404 Errors को ढूंढ़ना और उसके ठीक करना : जब कोई user website पर मौजूद नहीं होने वाले page के लिए requests करता है तो उसे 404 error page not found का सामना करना पड़ता है। यदि Site पर बहुत सारे 404 error page हैं तो यह User experience को बुरी तरह से प्रभावित करता है।
  7. Images को optimize करना : Images किसी भी अन्य element की तुलना में लोड होने में अधिक समय लेती है। यदि User अपने आर्टिकल में बड़ी साइज की इमेज उपयोग करते हैं, तो यह साइट के loading time को खराब कर देगा जो सीधे visiter के user experience को प्रभावित करेगा। Image optimize करने के लिए बहुत सारे image optimizer plugins उपलब्ध हैं जो इमेज साइज को की loading speed को बढ़ा देते हैं। compress करके वेबसाइट

XML and Scripts

XML Introduction XML language का निर्माण World Wide Web Consortium द्वारा किया गया है। यह भी एक प्रकार की Markup language है। XML एक Self Descriptive language है एवं यह SGML का Subset (उपभाग) है। इस प्रकार की Markup language का उपयोग बड़े Data storage के निर्माण के लिए किया जाता है। XML का Fullform- Extensible markup language है।

HTML व XML में अंतर

HTML XML 
1. HTML का अभिप्राय Hyper text markup language है।XML का अभिप्राय Extensible markup language है।
2. HTML डाटा को प्रदर्शित करने एवं page HTML web को आकर्षित बनाने के लिए निर्मित की गई है।XML डाटा को संग्रहित करने एवं उसके आदान-प्रदान के उपयोग में आती है।
3. HTML केवल पूर्व निर्धारित tag का उपयोग करता है।XML में नये Element को परिभाषित करने का प्रावधान है
4. HTML स्वयं एक Markup language हैXML markup language को परिभाषित करने हेतु एक Framework प्रदान करती है।
5. HTML Case संवेदनशील नहीं होती है।XML Case संवेदनशील होती है।
6. HTML का उपयोग Client, browser पर वेब पेज को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है।XML का उपयोग डाटा को data base से सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए किया जाता है।
7. HTML में पूर्वनिर्मित टैग्स होते हैं।XML tag users के द्वारा निर्मित किये जा सकते हैं।
8. HTML सिर्फ data को प्रदर्शित करती है अतः यह एक स्थिर भाषा है।XML डाटा को संग्रहित एवं आदान-प्रदान करने में सक्षम है अतः यह एक dynamic भाषा है।
HTML व XML में अंतर

XML Data की संरचना

XML document न केवल data को स्टोर करता है बल्कि Data की Structure (संरचना) को भी निर्दिष्ट करने में सक्षम है। XML संरचना Complex data के साथ कार्य करने के लिए अति महत्त्वपूर्ण है। XML को 1990 के दशक में W3C (World Wide Web Consortium) ने विकसित किया था। XML के द्वारा user किसी भी तरह के data को store कर सकते हैं व एक Webpage से दूसरे Webpage पर Data को बहुत आसानी से transfer भी कर सकते हैं। XML tags पहले से define नहीं होते को user खुद ही define करना पड़ता है। XML, Platform independent a language independent है अर्थात् यह किसी भी device में run हो सकती है और किसी भी language के साथ इसका उपयोग किया जा सकता है। XML व HTML की Combine version को X-HTML कहा जाता है।

XML की विशेषताएँ

यह Complex एवं असामान्य data को handle कर सकती है तथा data text का विवरण रखना यह बड़े Data को store व उसे reuse करने के लिए उपयोगी है। XML के Format को मानव के साथ-साथ Computer भी read कर सकता है। XML में data को markup language के द्वारा describe किया जाता है। XML, data को tree की संरचना में manage करती है जिसमें एक ही root element होता है इसलिए इसकी speed बहुत ही fast होती है। इसका उपयोग दूसरी language को Create करने के लिए किया जाता है। जैसे- XHTML, WSDL, WAP, RDF और SMIL आदि।

XML Declaration (घोषणा)

XML document की वैकल्पिक रूप में घोषणा होती है। इसे निम्न प्रकार दर्शाया जाता है-

<?xml version “1.0” encoding = “UTF-8” standalone “Yes”?>

इसमें XML का version 1.0 है तथा encoding = UTF – 8, व document उपयोग में आने वाली Character encoding को दर्शानी है। Standalone की bydefault value ‘No’ होती है। अगर इसे ‘Yes’ करते है तो इसका मतलब Processor को यह बताना है। कि documents को Parser करने के लिए बाहरी declaration की आवश्यकता नहीं है।

XML घोषणा के नियम

XML declaration, XML document की प्रथम पंक्ति में लिखा जाता है। XML declaration में XML का version का उपस्थित होना जरूरी है। Parameter का नाम व Value, Case Sensitive होते हैं। Parameter का नाम Small-cases में लिखा जाता है। XMI declaration में closing tag (/ ? XML) निहित नहीं होते हैं।

XML tags ये मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं :

  1. Opening tags (ओपनिंग टैम्स) – यह tag हर XML program के Code में होता है। उदाहरण <local address>
  2. Closing tags (क्लोजिंग टैग्स) – जिस XML tag की शुरुआत opening tag से होती है उसकी समाप्ति closing tag से होती है उदाहरण- < /local address >
  3. Empty tags (रिक्त टैग्स) वह tag जिसमें opening व tag कहते हैं। closing tag के मध्य कोई element नहीं होता है तो उसे empty उदाहरण (a) <hr> < /br> (b) एक पूर्णतया रिक्त तत्व <hr /> (self closing) element tag से दर्शाया जाता है।

XML attributes

XML तत्व के अंदर विभिन्न attributes होते हैं। Attributes का निर्माण XML तत्व की विभिन्न जानकारियों के लिए किया गया है। XML attributes में attributes का नाम व उसकी value को जोड़ा जाता है

उदाहरण

< student first name = “Satya” > name > Kumar </ name>

< grade > A+ < / grade > </ student >

Comments in XML Syntax

एक line comment : <! user comment > एक से अधिक line commen : Comment < ! line 1 line 2 line 3>

XML Entities :

XML document कई storage unit से मिलकर बनता है जिसे entity कहा जाता है। Character entity का उदाहरण Ampersand &amp; Single quote : & apos; XML DTD :

Document type definition (DTD) को XML एक valid आधारभूत संरचना के निर्माण हेतु उपयोग में लिया जाता है। DTD द्वारा XML data का वर्णन किया जाता है। XML Validation (वेलिडेशन) Validation, XML document के Structure को जानने व Validate करने की एक प्रक्रिया है। XML document को दो प्रकार से मान्य किया जा सकता है-

  1. (Well formed) XML दस्तावेज XML document में root element होना चाहिए। XML में closing tag होना चाहिए। XML tage case sensitive होते हैं। XML element properly nested होने चाहिए। XML attribute values (double quotes) के मध्य होनी चाहिए।

उदाहरण < email>

< to > Mr. Kumar < / to >

< body > Hello Kumar

< / body >

< / email >

Valid XML document : XML document, well formed के नियम तथा DTD के साथ भी जुड़ा हो तो उसे Valid (मान्य) XML document जाना जाता है।

Scripts

Computer Script एक list of Commands होती है जिन्हें execute किया जाता है। एक program या Scripting engine के द्वारा script का उपयोग web पर web page generate करने की processes को automate करने के लिए भी होता है। Script files, वास्तव में text documents ही होते हैं जिनमें (Certain scripting language में) instructions लिखा हुआ होता है अर्थात् Scripts को एक basic text editor का use कर open व edit किया जा सकता है। जब इसे open किया जाता है तब script fed commands, appropriate scripting engine के द्वारा execute होते हैं।

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