What Is SMTP And How It Works {एसएमटीपी क्या है}
SMTP (एसएमटीपी)
SMTP का पूर्ण नाम Simple Male Transfer Protocol होता है। SMTP इंटरनेट पर E-mail (ई-मेल) भेजने हेतु प्रयुक्त किया जाने वाला प्रोटोकॉल है अर्थात् इस प्रोटोकॉल का मुख्य कार्य किसी भी Mail को एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर भेजता है।
SMTP, TCP/IP नेटवर्क पर E-mail Service (ई-मेल सर्विस) के लिए स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल है। SMTP एक प्रकार का Application layer (एप्लीकेशन लेयर) प्रोटोकॉल है। जो इंटरनेट पर ई-मेल को भेजने एवं प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।SMTP को RFC821 एवं RFC 2821 के रूप में भी जाना जाता है।
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SMTP एक ऐसा सिस्टम है जिसका उपयोग ई-मेल को प्रभावी ढंग से भेजने हेतु किया जाता है। SMTP में जो Client (क्लाइन्ट) मेल भेजना चाहता है वो SMTP सर्वर पर एक TCP कनेक्शन ओपन करता है एवं फिर पूरे कनेक्शन में मेल भेजता है।
Working of SMTP (SMTP की कार्यप्रणाली);-
SMTP प्रोटोकॉल E-Mail Message के साथ लिखे गये Mail address को अपने Server (सर्वर) पर चैक करता है, चैक करने के बाद यदि E-Mail address सही है तो यह प्रोटोकॉल ई-मेल सर्वर से कनेक्शन स्थापित करता है।
जब एक बार Mail Server से कनेक्शन बन जाता है तो Connection बनने के बाद Mail address के साथ दिए गए User name (यूजरनेम) के आधार पर यूजर के Mailbox को सर्च किया जाता है तथा Mail box को सर्च करने के बाद E-mail box में Messages को save कर दिया जाता है।
नोट:-1.जब E-mail send करने वाले यूजर से E-Mail प्राप्त करने वाले यूजर तक E-mail सुरक्षित पहुँच जाता है तो यह प्रोटोकॉल ई-मेल सेण्ड करने वाले यूजर को E-mail सुरक्षित पहुँचने की delivery report भी देता है। इसे acknowledgement कहा जाता है।
2. जब E-mail निर्धारित यूजर तक नहीं पहुँच पाती है या E-mail address गलत होता है तो उस स्थिति में SMTP के द्वारा failure की जानकारी भी प्रदान की जाती है। SMTP प्रोटोकॉल की कार्यविधि को समझने हेतु निम्नलिखित उदाहरण लेते हैं-
दो व्यक्तियों को मान लें- 1. ललिता 2. सुनील
ललिता का एक जी-मेल अकाउण्ट है- [email protected] सुनील का एक याहू अकाउण्ट है—[email protected] * ललिता सुनील को एक ई-मेल भेजना चाहती है तो ललिता के E- mail account (ई-मेल अकाउण्ट) से सुनील के E-mail account (ई-मेल अकाउण्ट) में ईमेल डिलीवर करने की प्रोसेस निम्नानुसार हैं— ★ ललिता अपने कम्प्यूटर पर ई-मेल ड्राफ्ट करती है।
ई-मेल को ड्रॉफ्ट करने के बाद वो सुनील का ई-मेल एड्रेस enter ( दर्ज) करता है एवं फिर Send पर क्लिक करता है। ललिता का ई-मेल क्लाइन्ट उसके डोमेन के SMTP सर्वर से कनेक्ट होता है जो ई-मेल को पुश करता है। इस सर्वर का नाम Smtp.example.Com रखा जा सकता है। नोट ;—यहाँ ललिता का मेल सर्वर एक SMTP क्लाइंट की भूमिका निभाएगा।
ललिता का मेल सर्वर सुनील को मैसेज देने के लिए Yahoo. Com मेल सर्वर से कम्युनिकेट करता है। जब दो सर्वरों के बीच प्रारम्भिक SMTP hand shaking (हैडशेकिंग) हो जाती है तो SMTP क्लाइन्ट ललिता के मैसेज को सुनील के मेल सर्वर पर भेजता है। सुनील का मेल सर्वर एक SMTP सर्वर की भूमिका निभाएगा। सुनील का SMTP सर्वर आने वाले मैसेज को स्केन करता है। और डामेन और यूजरनेम को पहचानता है।
सुनील का Mail Server (मेल सर्वर ) ई-मेल प्राप्त करता है। जिसे बाद में Mail Box (मेल बॉक्स) में Store किया जाता है। इस E-Mail को बाद में भी प्राप्त किया जा सकता है। इस ई-मेल को आउटलुक जैसे ई-मेल एप्लीकेशन आदि के द्वारा पढ़ा जाता है। SMTP किसी एक या भिन्न Networks (नेटवर्क) में यूजर्स को Mail (मेल) का आदान-प्रदान करने की सुविधा प्रदान करता है एवं निम्नलिखित सुविधाएँ उपलब्ध कराता है— एक ही मैसेज को एक से अधिक ई-मेल एड्रेसेज पर भेजना।
किसी भी ई-मेल मैसेज में टेक्स्ट, साउण्ड, ग्राफिक्स एवं विडियो को संग्रहित करके भेजना।
इंटरनेट पर Outer Networks के Users को मैसेज भेजना। SMTP in E-Mail Process (ई-मेल प्रक्रिया में एसएमटीपी) जब यूजर e-mail client का उपयोग करके एक e-mail लिखते हैं और फिर जब यूजर send पर क्लिक करता है तो e-mail यूजर के कम्प्यूटर से SMTP प्रोटोकॉल का उपयोग करके e-mail server तक जाता है, इसे SMTP Server भी कहा जाता है, और यह वही सर्वर है जो E-mail client में Configured किया गया है।
जैसे यदि Gmail का उपयोग कर रहे हैं तो SMTP Server का एड्रेस Smtp.gmail.Com होगा। यह सर्वर SMTP का उपयोग करके आपके Message को recipients के e-mail सर्वर तक भेजता है। यह मैसेज recipients के e-mail Server में तब तक रहेगा जब तक वह अपने e-mail account में login नहीं करता है। SMTP क्लाइन्ट (client) को Mail User Agent (MUA) एवं
SMTP सर्वर को Mail Transfer Agent (MTA) कहा जाता है। 1. Mail User Agents (MUA) MUA का मुख्य कार्य एक मैसेज को तैयार करके एक envelope (एनवेलप) बनाकर उस message को envelope (एनवेलप) में रखना है।
नोट:- MTA उस envelope (एनवेलप) को ऑनलाईन बताता है। 2. Mail Transfer Agents (MTA) MTA स्थानीय उपयोगकर्ताओं से आने वाली मेल प्राप्त करता है और इसे delivery हेतु forward करता है। मेल ट्रांसफर के लिए क्लाइंट या सर्वर के रूप में एक से अधिक MTA शामिल किए जा सकते हैं।
Command Related to SMTP (SMTP से संबंधित कमाण्ड्स कार्यप्रणाली) Simple Mail Transfer Protocol से संबंधित कमाण्डस निम्न हैं- HELO—यह कमाण्ड SMTP Session की शुरुआत होने की प्रक्रिया है, इस कमाण्ड का प्रयोग करके एक Mail Server दूसरे Mail Server से संवाद स्थापित करता है।
MAIL FROM इस कमाण्ड द्वारा Sender का ई-मेल एड्रेस दर्शाया जाता है अर्थात् यह कमाण्ड Sender के मेल एड्रेस को दर्शाती है जिसमें E-mail को भेजने वाले Sender का ई- मेल एड्रेस From फील्ड में डाल दिया जाता है।
REPT TO यह मेल को प्राप्त करने वाले व्यक्ति का E- Mail address दर्शाता है, इसमें यदि एक से अधिक Recipient है तो यह कमाण्ड हर एड्रेस पर दोहराई जाती है। Sizeयह SMTP कमाण्ड सर्वर को Attached ई-मेल के अनुमानित Size के बारे में Inform कराने हेतु प्रयुक्त होती है।
Data_SMTP की इस कमाण्ड के साथ ही ई-मेल ट्रांसफर होना शुरू होती है। इसे स्टार्ट करने के लिए Server पर 354 रिप्लाई कोउ प्रदान किया जाता है। यह कोड प्रोसेस को शुरू करने हेतु प्रयुक्त हरी झण्डी है।
3. TCP (टीसीपी) TCP का पूर्ण रूप ट्रांसमिशन कन्ट्रोल प्रोटोकॉल (Transmission Control Protocol) है। TCP एक मानक संचार प्रोटोकॉल है जो कम्प्यूटर डिवाइस एवं एप्लीकेशन को नेटवर्क पर डेटा का आदान-प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
TCP प्रोटोकॉल का इस्तेमाल internet इंटरनेट पर data packet (डेटा पैकेट) भेजने एवं डेटा की सफल डिलीवरी हेतु किया गया है। TCP प्रोटोकॉल डिजिटल नेटवर्क संचार के अंतर्गत सबसे अधिक उपयोग में लिए जाने वाले प्रोटोकॉल में से एक है।
TCP प्रोटोकॉल End to end डेटा डिलीवरी प्रदान करता हैं यह पूर्ण डेटा की सफल डिलीवरी की गारण्टी देता है। TCP का इस्तेमाल डेटा की सुरक्षित delivery हेतु किया जाता है। TCP प्रोटोकॉल Internet Protocol (IP) के अंतर्गत कार्य करता हैं, इसलिए इसे TCP/IP प्रोटोकॉल भी कहा जाता है। * TCP/IP के माध्यम से ही इंटरनेट पर इंटरनेट डिवाइस और एप्लीकेशन के बीच डेटा के आदान-प्रदान हेतु संचार स्थापित करता है।
Working of TCP/IP Protocol (TCP/IP प्रोटोकॉल की कार्यविधि) TCP/IP प्रोटोकॉल का प्रयोग इंटरनेट में डेटा को सुरक्षित रूप से source से destination तक पहुँचाने हेतु किया जाता है। यह सम्पूर्ण डेटा को छोटे-छोटे पैकेट में विभाजित कर देता है और इंटरनेट में भेजता है।
इंटरनेट प्रोटोकॉल डेटा को डेस्टिनेशन एड्रेस तक पहुँचाता है। TCP/IP प्रोटोकॉल के द्वारा जो डाटा डेस्टिनेशन तक पहुँचता है,
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TCP/IP मॉडल में 4 layers होती है, जो निम्नानुसार है—
(i) Network Layer ( नेटवर्क लेयर) (ii) Internet Layer (इंटरनेट लेयर)
(iii) Transport Layer (ट्रांसपोर्ट लेयर) (iv) Application layer (एप्लीकेशन लेयर)
1. नेटवर्क लेयर ( Network Layer)
नेटवर्क लेयर TCP/IP प्रोटोकाल की निम्नतम लेयर है। यह लेयर डाटा को भेजने और प्राप्त करने के भौतिक कार्य को संभालने हेतु प्रयुक्त होती है अर्थात् यह लेयर निर्धारित करती है। कि डेटा किस प्रकार नेटवर्क में Sent किया जाता है। यह लेयर नेटवर्क पर विभिन्न एप्लीकेशन के बीच डेटा संचार हेतु उत्तरदायी सेवा है। यह लेयर OSI मॉडल में define किए गए data link layer और Physical layer का combination होता है। यह layer एक ही नेटवर्क में दो devices के बीच होने वाले data के transmission के लिए जिम्मेदार होती है। इस लेयर द्वारा प्रयोग किए जाने वाले प्रोटोकॉल Ethernet, FDDI, Token ring आदि हैं। ट्रांसपोर्ट लेयर (Transport Layer)
यह TCP/IP प्रोटोकाल की दूसरे नम्बर की लेयर है। यह लेयर डेटा को destination तक पहुँचाने हेतु एक secured connection स्थापित करता है। ट्रांसपोर्ट लेकर यह निर्धारित करती है कि कितना डेटा कहाँ और किस दर पर भेजना है। जय डेटा ट्रांसपोर्ट लेयर में पहुँचता है, तो यह डेटा पैकेट्स के रूप में विभाजित हो जाता है और डेटा को एक sequences (निश्चित क्रम) में व्यवस्थित किया जाता है। इसी लेयर के कारण TCP/IP प्रोटोकॉल में डेटा को Sequence भेजा जाता है।
3. इन्टरनेट लेयर (Internet Layer)
इंटरनेट लेयर TCP/IP प्रोटोकॉल की तीसरे नम्बर की लेयर होती है। यह लेयर नेटवर्क में कनेक्शन रहित (Connectionless) संचार उपलब्ध करवाती है। इसमें डेटा Datagram के रूप में होता है। यह नेटवर्क से डेटाग्राम भेजने और उसके Movement को नियंत्रित करती है ताकि यह सुनिश्चित हो जाए कि डेटाग्राम सफलतापूर्वक अपने Destination पर पहुँच गया है। इंटरनेट लेयर (Internet layer) निम्नलिखित Protocols का प्रयोग करती है—-
IP Protocol —यह Internet Protocol है, इसका मुख्य कार्य source से destination तक डाटा packets को deliver करना है।
ARP Protocol – इस प्रोटोकॉल का पूरा नाम Address resolution protocol है। इसका मुख्य कार्य IP address से Physical address को खोजना है। इस प्रोटोकॉल के प्रकार RARP PARP आदि हैं। ICMP-इस प्रोटोकॉल का पूरा नाम Internet Control Message Protocol है। यह प्रोटोकॉल host को नेटवर्क में आने वाली सभी problems की सूचना देता है।
4. एप्लीकेशन लेयर (Application Layer)
यह TCP/IP प्रोटोकॉल की सबसे ऊपर वाली लेयर होती है। यह layer user को कनेक्शन प्रदान करवाती है एप्लीकेशन लेयर में यूजर सीधे एप्लीकेशन के साथ Interac करता है। TCP/IP प्रोटोकॉल की विशेषताएँ
TCP/IP एक Open suite प्रोटोकॉल है, इस पर किसी कम्पनी विशेष का कोई अधिकार नहीं हैं, इस प्रोटोकॉल का इस्तेमाल कोई भी व्यक्ति कर सकता है।
TCP/IP प्रोटोकॉल डेटा संचार हेतु प्रयुक्त एक विश्वसनीय प्रोटोकॉल है। यह प्रोटोकॉल बड़े नेटवर्क में डाटा ट्रांसफर हेतु प्रयुक्त होता है।
TCP/IP प्रोटोकॉल का use करके डाटा सुरक्षित रूप से ट्रांसफर किया जाता है। TCP/IP का हैडर साइज 20 Byte से लेकर 60 byte तक हो सकता है। TCP/IP प्रोटोकॉल के लाभ
TCP/IP प्रोटोकॉल डेटा को एक निश्चित sequence में भेजता है।
TCP/IP प्रोटोकॉल अलग-अलग कम्प्यूटर के बीच कनेक्शन स्थापित करने हेतु प्रयुक्त होता है।
किसी भी नेटवर्क में लम्बी दूरी में डाटा ट्रांसफर करने हेतु TCP/IP प्रोटोकॉल प्रयुक्त होता है। TCP एक विश्वसनीय प्रोटोकॉल है जो डाटा को सफलतापूर्वक deliever होने को सुनिश्चित करता है।
TCP/IP प्रोटोकॉल की हानि TCP प्रोटोकॉल को WAN जैसे बड़े नेटवर्क हेतु डिजाइन किया गया है। TCP प्रोटोकॉल को मैनेज करना बहुत जटिल प्रोसेस है। TCP डेटा लिंक लेयर एवं फिजिकल लेयर के मध्य अन्तर स्पष्ट नहीं करता है। UDP प्रोटोकॉल की तुलना में TCP/IP धीमा प्रोटोकॉल है।
4. VOIP Protocol (वीओआईपी प्रोटोकॉल)
VOIP का पूर्ण रूप Voice Over Internet Protocol होता है। VOIP का अर्थ है इंटरनेट की मदद से आवाज़ को ट्रांसफर करना अर्थात जैसे यूजर को voice call पर बात करने के लिए किसी सिम कार्ड या मोबाइल नेटवर्क की आवश्यकता नहीं पड़ेगी बल्कि इंटरनेट का इस्तेमाल कर voice कॉल कर सकते हैं।
एक यूजर दूसरे यूजर से कम्प्यूनिकेशन करने हेतु इस तकनीक का प्रयोग करता है। यह तकनीक कई सारी एप्लीकेशन जैसे Whatsapp, Skype, Zoom आदि में प्रयुक्त होती है। VOIP मौजूदा टेलीफोन नेटवर्क के माध्यम से आउटगोइंग एवं इनकमिंग कॉल की रूटिंग करता है। यूजर का फोन Local Area Network (LAN) में स्विच या राउटर से कनेक्ट होता है।
जब यूजर टेलीफोन नम्बर डायल करता है तो यूजर का आईपी फोन VOIP सर्विस प्रोवाइडर को दूसरे व्यक्ति को कॉल करने के लिए कहता है। VOIP सर्विस कॉल कनेक्ट करती है और यूजर के आईपी फोन से डेटा पैकेट का आदान-प्रदान करती है अब यूजर का VOIP फोन इन डिजिटल सिग्नल की वायस उस वॉइस में बदल देता है, जिसे यूजर सुन सकता है।
5. FTP (एफटीपी)
FTP (एफटीपी) का पूरा नाम File Transfer Protocol होता है। FTP (एफटीपी) का उपयोग एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम में फाइल ट्रांसफर करने हेतु किया जाता है। FTP (एफटीपी) एक स्टैण्डर्ड नेटवर्क प्रोटोकॉल है, जिसका उपयोग फाइलों को नेटवर्क पर स्थानान्तरित करने हेतु किया जाता है।
FTP (एफटीपी) इंटरनेट और लोकल नेटवर्क में सर्वर एवं क्लाइन्ट के बीच डाटा फाइल के आदान-प्रदान का एक माध्यम है। FTP (एफटीपी) एक Clinet Server प्रोटोकॉल है। यह प्रोटोकॉल क्लाइन्ट एवं सर्वर के बीच दो संचार चैनलों पर निर्भर करता है।
FTP (एफटीपी) का सर्वाधिक उपयोग वेबपेज को वेबसर्वरों पर अपलोड करने में होता है, ताकि वेवसाइटों के जरिए इन्हें प्रकाशित किया जा सके। File Transfer Protocol बड़ी Size की फाइलों को transfer करने का कार्य करता है जबकि Hypertext transfer protocol छोटी साइज की फाइलों को transfer करने हेतु प्रयुक्त होता है।
फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल के द्वारा टेक्स्ट फाइल, मल्टीमीडिया फाइल आदि आसानी से ट्रांसफर हो जाती है। जब कोई Web developer वेबसाइट बनाता है तो उस वेबसाइट की Files फाइल्स को सर्वर पर अपलोड करना होता है एवं इस कार्य हेतु FTP का उपयोग किया जाता है। FTP बड़े-बड़े फाइलों को सर्वर पर अपलोड, डाउनलोड, रीनेम, डिलीट, कॉपी एवं मूव करने में मदद करता है।
Use of FTP (FTP के उपयोग)
FTP कम्प्यूटर के बीच या Cloud के जरिए फाइलों को आगे-पीछे भेजता है। ऐसे यूजर्स जो Website को Create एवं Maintain करते हैं उन यूजर्स के लिए FTP एक अच्छा tool है। FTP कम्प्यूटर के बीच फाइलों को एक जगह से दूसरी जगह transfer करना, Upload करना, download करना आदि कार्य बहुत आसानी से कर सकता है।
डाटा ट्रांसफर करते समय ट्रांसमिशन प्रक्रिया के दौरान कमांड एवं डेटा दोनों को encrypt करता है। 4 इस प्रकार के प्रोटोकॉल में सुरक्षित तरीके से system (सिस्टम) एवं application (एप्लीकेशन) तक पहुँचा जा सकता है।
Working of FTP Protocol (एफटीपी प्रोटोकॉल की कार्यविधि) FTP Connection दो कम्प्यूटरों के बीच स्थापित होता है तथा वे एक नेटवर्क का use करके एक-दूसरे के साथ संचार स्थापित करते हैं। इन कम्प्यूटरों में एक Client होता है तथा दूसरा Server होता है।
एक client कम्प्यूटर यदि files को दूसरी जगह पहुँचाता है, तो इस दौरान दूसरे कम्प्यूटर का IP address पता होना आवश्यक है। |
यह कम्प्यूटर फाइल ट्रांसफर हेतु FTP Command का प्रयोग करता है, क्लाइन्ट को जब फाइल (File) को ट्रांसफर करना होता है तो Commands के जरिए ये Connection बनाता है, तथा वो जैसे ही कनेक्शन बना लेता है वैसे ही सर्वर ( Server) उसको response. करता है।
कनेक्शन बनाकर डाटा को FIP द्वारा ट्रांसफर करने की प्रक्रिया Client एवं Server के बीच दो संचार चैनलों पर निर्भर करती है-
1. Control Connection
2. Data Connection
जिनका संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है-
1. Control Connection (कण्ट्रोल कनेक्शन);-इनConnection का उपयोग commands को send करने, commands को Receive करने तथा Commands को Response देने के लिए होता है। इस प्रक्रिया में यूजर कनेक्शन स्थापित करने के लिए सर्वर पर login करता है। नोट:- कुछ सर्वर ऐसे भी होते हैं जो बिना login किए भी Content उपलब्ध कराते हैं।
2. Data Connection (डाटा कनेक्शन);- डाटा कनेक्शन एक ऐसा कलेक्शन होता है, जिसका कार्य फाइलों एवं फोल्डर्स को एक जगह से दूसरी जगह Transfer करने के लिए होता है। इस प्रकार का Connection दो Modes में स्थापित किया जा सकता
1. Active Mode Active mode में, client server से आने वाले data connection के लिए एक random port से जुड़ता है। Client फिर से FIP Server को अगला port भेजता है जिसे कमाण्ड चैनल पर स्वीकार किया जाता है।
2. Passive Mode-Passive mode में, client server को PASV Signal भेजने के लिए Control Connection का उपयोग करता है। FTP Server. IP Address और Server port number वापस भेजता है।
Types of FTP (एफटीपी के प्रकार);-
1. Anonymous FTP;- इस प्रकार के FTP में फाइलों को एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम में ट्रांसफर करने के लिए User ID एवं Password की आवश्यकता नहीं है। यूजर बिना Id एवं पासवर्ड के भी फाइलों को ट्रांसफर कर सकता है। ARTD music, pictures, movie clip a other files को ट्रांसफर करने हेतु Anonymous FTP साइट्स उपलब्ध है।
2. Password Protected FTP— इस प्रकार के फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल में यूजर को User Id एवं Password की आवश्यकता होती है। इस प्रकार के FTP में पासवर्ड एवं यूजर आईडी की आवश्यकता होने पर भी Security की कमी रहती है।
3. FTP Secure (FTPS) –यह एफटीपी SSH FTP कहलाता है। इस एफटीपी में फाइल्स को सुरक्षित करने के लिए SSH (Secure shell) का प्रयोग किया जाता है। यह डेटा को एन्क्रिप्ट (Encrypt) करके यूजर के डेटा को सुरक्षित करता है, इससे कोई भी व्यक्ति यूजर की Permission के बिना डेटा का उपयोग नहीं कर सकता है। यह FTP की तुलना में अधिक Secure है।
4. Secure FTP (SCTD): इसे FTP SSL भी कहा जाता है। इस प्रकार के प्रोटोकॉल में फाइल्स को सुरक्षित रखने हेतु SSL (Secure Socket Layer) का प्रयोग किया जाता है।
TELNET Protocol (Tele Communication Network Protocol) – यह username एवं Password की सहायता से रिमोट कम्प्यूटर से प्रयोक्ता को जोड़ता है।
POP3 (Post Office Protocol 3)-मेल सर्वर से ई-मेल को Receive (प्राप्त) करने के लिए प्रयोग किया जाता है। IMAP (Internet Message Access Protocol) – IMAP कम्प्यूटर पर मेल क्लाइंट के जरिये ई-मेल के सर्वर से ई-मेल डाउनलोड करने की अनुमति देता है। VOIP (Voice Over Internet Protocol)- Voice Communication के लिए प्रयोग किया जाता है।
नोट—दो अलग-अलग protocol को जोड़ने हेतु Gateway का प्रयोग किया जाता है।